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श०२० उ०८ प्र०६०
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भगवती-सूची
चौबीस दण्डक में ज्ञानावरणीय आदि आठ कर्मों का तीन प्रकार का बंध चौबीस दण्डक में तीन प्रकार के स्त्रीवेद का बंध असुर-यावत्-वैमानिक पर्यन्त तीनों वेदों का तीन प्रकार
का बंध ५१ क- चौबीस दण्डक में दर्शन और चारित्र मोहनीय का तीन प्रकार
का बंध ख- चौबीस दण्डक में पाँच शरीरों का तीन प्रकार का बंध ग- चौबीस दण्डक में चार संज्ञाओं का तीन प्रकार का बंध घ- चौबीस दण्डक में छह लेश्याओं का तीन प्रकार का बंध ङ. चौबीस दण्डक में तीन दृष्टियों का तीन प्रकार का बंध च- चौबीस दण्डक में पांच ज्ञान, तीन अज्ञान का तीन प्रकार
का बंध पांच ज्ञान और तीन अज्ञान के विषयों का तीन प्रकार का बंध अष्टम भूमि उद्देशक पंद्रह कर्मभूमि तीस अकर्मभूमि
तीस अकर्मभूमियों में उत्सर्पिणी- अवसर्पिणी का निषेध ५६ क- भरत एरवत में उत्सर्पिणी काल का अस्तित्व
ख- महाविदेह में अवस्थित काल
महाविदेह में चार महाव्रत का धर्मोपदेश तीर्थंकर जम्बूद्वीप के भरत में इस अवसर्पिणी के चौबीस तीर्थंकर चौबीस तीर्थंकरों के अन्तर
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जिनांतरो में कालिक श्रुत का विच्छेद और अविच्छेद
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