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भगवती-सूची
३६८ श० १६ उ० ३-४प्र० ३७ ।। ग- असंज्ञी जीवों मे शोक का अभाव, शोक न होने का कारण
शक्रेन्द्र भ० महावीर के समीप शकेन्द्र का आगमन पांच प्रकार के अवग्रह
शकेन्द्र सत्यवादी २४ शकेन्द्र सत्य आदि चार भाषा का भाषक है
शकेन्द्र सावद्य एवं निरवद्य भाषी है
शकेन्द्रि भवसिद्धिक आदि २७ क- चैतन्य कृत कर्म-चैतन्य कृत होने के कारण ख- चौवीस दण्डक में चैतन्यकृत कर्म
तृतीय कर्म उद्देशक २८ क- आठ कर्म प्रकृतियां
ख- चौवीस दण्डक में आठ कर्म प्रकृतियां २६ ज्ञानावरण का वेदक, आठ कर्म प्रकृतियों का वेदक ३० क- भ० महावीर का राजगृह के गुणशील चैत्य से विहार
ख- उल्लुकतीर नगर के एक जम्बूक चैत्य में पधारे
क्रिया विचार ३१ कायोत्सर्ग में स्थित मुनि के अर्श काटने वाले वैद्य को और
मुनि को लगनेवाली क्रियायें
चतुर्थ जावंतिय उद्देशक ३२-३६ नैरथिक से नित्यभोजी श्रमण की निर्जरा अधिक ३७ क- अधिक निर्जरा होने का हेतु
ख- वृद्ध कठियारे का उदाहरण ग- तरुण कठियारे का उदाहरण घ- घास के पूले का उदाहरण ङ- तप्त तवे पर पानी के बिन्दु का उदाहरण
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