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भगवती-सूची
श० ११ उ०१ प्र०२
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भीम की चार अग्रमहीषियों के नाम किन्नरेन्द्र की चार अग्रमहीषियों के नाम किम्पुरुषेन्द्र की चार अग्रमहीषियों के नाम सत्पुरुषेन्द्र की चार अग्र महीषियों के नाम
अतिकायेन्द्र की चार अग्रमहीषियों के नाम ५५ गीतरतीन्द्र की चार अग्रमहीषियों के नाम ५६ क- चन्द्र की चार अग्रमहीषियों के नाम
ख- सूर्य की चार अग्र महीषियों के नाम ५७ अंगारक ग्रह की चार अग्रमहीषियों के नाम
शेष अठ्यासीमहाग्रहों का वर्णन ५६ क- शक्रन्द्र की आठ अग्रमहीषियों के नाम
ख- प्रत्येक अग्रमहीषी का परिवार ग- एक लाख अट्ठाईस हजार देवियों का एक त्रुटिक वर्ग
शेष वर्णन चमरेन्द्र के समान ईशानेन्द्र की आठ अग्रमहीषियों के नाम. लोकपालों का वर्णन षष्ठ सभा उद्देशक शक्र की सुधर्मा सभा शक्रेन्द्र का सुख सप्तम से चोतीसवें पर्यन्त अन्तर्वीप उद्देशक उत्तर दिशा के अट्ठाईस (एकोरुक से शुद्धदन्त) अन्तर्वीपों का वर्णन इग्यारहवाँ शतक
प्रथम उत्पल उद्देशक १ क- राजगृह
ख- उत्पल के जीव २ उत्पल में उत्पन्न होने वाले जीवों की पूर्व-गति
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