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________________ श०६ उ०१प्र० ४ . ३०५ भगवती-सूची समय ज्ञान १७१-१७४ चौवीस दण्डक में समय का ज्ञान पार्थापत्य और महावीर १७५-१७६क- पापित्य स्थविरों का भ० महावीर से प्रश्न असंख्य लोक में अनन्त रात्रि-दिन ख- लोक के सम्बन्ध में भ० पार्श्वनाथ और भ० महावीर का एकमत ग- पापित्य स्थविरों का पंच महाव्रत ग्रहण कुछ पापित्यों की मुक्ति और कुछ की देवगति देवलोक १७७ चार प्रकार के देवलोक दशम चंद्र उद्देशक चम्पा नगरी चन्द्र वर्णन पंचम शतक प्रथम उद्देशक के समान सूर्य के स्थान में चन्द्र का कथन षष्ठ शतक प्रथम वेदना उद्देशक १ क- वेदना और निर्जरा की समानता ख- महावेदना और अल्प वेदना में प्रशस्त वेदना की उत्तमता २ छठ्ठी-सातवीं नरक में महावेदना ३ नरयिकों और श्रमण निग्रंथों के निर्जरा की तुलना ४ क- वस्त्र का उदाहरण ख- एरण का उदाहरण ग- घास के पूले का उदाहरण घ- लोहे के गोले का उदारण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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