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________________ समवायां : : २५४ समवाय १००-१००० سه » مع م م नो सोवाँ समवाय १ क- आनत कल्प के विमानों की ऊंचाई ख- प्राणत कल्प के विमानों की ऊंचाई ग- आरण कल्प के विमानों की ऊंचाई घ- अच्युत कल्प के विमानों की ऊंचाई २ निषध कूट के ऊपरी तल से अधस्तल का अन्तर नीलवंत कूट के ऊपरी तल से अधस्तल का अन्तर विमल वाहन कुलकर की ऊंचाई रत्नप्रभा के ऊपरी तल से ताराओं की ऊंचाई निषध पर्वत के शिखर से (रत्नप्रभा के) प्रथम काण्ड के मध्यभाग का अन्तर नीलवंत के शिखर से (रत्नप्रभा के) प्रथम काण्ड के मध्यभाग का अन्तर एक हजारवाँ समवाय सर्व प्रैवेयक विमानों की ऊंचाई सर्व यमक पर्वतों की ऊंचाई, उद्वेध और मूल का विष्कम्भ क- चित्रकूट की ऊंचाई उद्वेध और मूल का विष्कम्भ ख- विचित्रकूट की ऊंचाई, उद्वेध और मूल का विष्कम्भ सर्व वृत्त वैताढ्य पर्वतों कीऊंचाई, उद्वेध और मूल का विष्कम्भ हरि, हरिस्सह कूटों की ऊंचाई, उद्वेध और मूल का विष्कम्भ बलकूटों की ऊंचाई, उद्वेध और मूल का विष्कम्भ भ० अरिष्ट नेमीनाथ की ऊंचाई भ० पार्श्वनाथ के केवली शिष्य भ० पार्श्वनाथ के मुक्त शिष्य १ क- पद्मद्रह का आयाम ___ ख- पुंडरीक द्रह का आयाम om Ghrum Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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