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________________ समवायांग सूची - २५२ ४ भ० महावीर के चौदह पूर्वी मुनि .५ पांचसौ धनुष की कायावालों के जीवप्रदेशों की अवगाहना साढे तीन सोवां समवाय १ भ० पार्श्वनाथ के चौदह पूर्वधारी मुनि २ भ० अभिनन्दन की ऊंचाई चार सोवाँ समवाय "१ भ० सम्भवनाथ की ऊंचाई २ क- सभी निषध वर्षधर पर्वतों की ऊंचाई ख- सभी नीलवंत वर्षधर पर्वतों की ऊंचाई ३ ४ १ समवाय ३५०-५०० सभी वक्षस्कार पर्वतों की ऊंचाई और उद्वेध ● आणत - प्राणत कल्प के विमान भ० महावीर के उत्कृष्ट वादी मुनि साढ़े चार सोवां समवाय भ० अजितनाथ की ऊंचाई सगर चक्रवर्ती की ऊंचाई पांच सोवां समवाय सर्व वक्षस्कार पर्वतों की ऊंचाई - उद्वेध सर्व वर्षधर पर्वतों के कूटों की ऊंचाई- उद्वेध भ० ऋषभदेव की ऊंचाई ४ भरत चक्रवर्ती की ऊंचाई ५ क- सोमनस पर्वत की ऊंचाई और उद्वेध ख- गंधमादन पर्वत की ऊंचाई और उद्वेध ग- विद्युत्प्रभ पर्वत की ऊंचाई घ- माल्यवंत पर्वत की ऊंचाई हरि, हरिस्सह कूटों को छोड़कर शेष सभी कूटों की ऊंचाई और मूल का विष्कम्भ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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