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________________ २३५ समवायांग-सूची ४ क जम्बूद्वीप के दक्षिणान्त से दकभास पर्वत के दक्षिणान्त का अंतर ख - जम्बूद्वीप के पश्चिमान्त से शंखपर्वत के पश्चिमान्त का अन्तर ग- जम्बूद्वीप के उत्तरान्त से दकसीम पर्वत के उत्तरान्त का अंतर महालिया विमान - प्रविभक्ति में तृतीय वर्ग में उद्देशक ५ समवाय ४४-४७ चौवालीसवां समवाय १ ऋषिभाषित के अध्ययन २ भ० विमलनाथ के सिद्ध होनेवाले शिष्य - प्रशिष्यों की परम्परा ३ धरण नागेन्द्र के भवन ४ महालिका विमान प्रविभक्ति में चतुर्थ वर्ग के उद्देशक पैतालीसवाँ समवाय १ समय क्षेत्र का आयाम - विष्कम्म २ सीमंतक नरकावास का आयाम - विष्कम्भ ३ उडुविमान का आयाम - विष्कम्भ ४ ईषत् प्राग्भारा पृथ्वी का आयाम - विष्कम्म ५ ६ ७ IS भ० अरहनाथ की ऊंचाई मेरु पर्वत का चारों दिशाओं से अन्तर १ धातकी खंड और पुष्करार्द्ध के नक्षत्रों का चन्द्रमा के साथ योगकाल महालिका विमान - प्रविभक्ति में पाँचवे वर्ग के उद्देशक छियालीसवां समवाय १ दृष्टिवाद के मातृकापद ब्राह्मी लिपि के मातृकाक्षर प्रभंजन वायुकुमार के भवन संतालीसवां समवाय आभ्यन्तर मण्डल से सूर्य दर्शन का अन्तर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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