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णमो णाणस्स
द्रव्यानुयोग-प्रधान स्थानांग (ठाणांग-समवायांग का ज्ञाता श्रुत स्थविर होता है)
श्रुतस्कंध स्थान उद्देशक पद
७२००० उपलब्ध पाठ परिमाण श्लोक ३७७० गद्य सूत्र पद्य सूत्र
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आगमों का अध्ययन काल वर्ष के दीक्षित को
प्राचारप्रकल्प
सूत्र कृतांग दशाश्रुतस्कंध, बृहत्कल्प व्यवहार
स्थानांग, समवायांग
भगवती सूत्र छुल्लिका विमानादि पाँच अध्ययन अरुणोपपात अादि पांच अध्ययन उत्थान श्रत आदि चार अध्ययन
प्राशिविष भावना दृष्टिविष भावना
चारण भावना महा स्वप्न भावना
तेजो निसर्ग
दृष्टिवाद २० वर्ष के दीक्षित को
शेष सर्व भागम
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