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________________ ३१६ श्री कवि किशनसिंह विरचित तीर्थङ्करका नाम (१) आदिनाथ (२) अजितनाथ (३) सम्भवनाथ (४) अभिनन्दननाथ (५) सुमतिनाथ (६) पद्मप्रभ (७) सुपार्श्वनाथ (८) चन्द्रप्रभ (९) सुविधिनाथ (१०) शीतलनाथ (११) श्रेयांसनाथ (१२) वासुपूज्य (१३) विमलनाथ (१४) अनन्तनाथ (१५) धर्मनाथ (१६) शांतिनाथ (१७) कुन्थुनाथ (१८) अरनाथ (१९) मल्लिनाथ (२०) मुनिसुव्रतनाथ (२१) नमिनाथ (२२) नेमिनाथ (२३) पार्श्वनाथ (२४) महावीर गर्भकल्याणक आषाढ कृ. द्वितीया ज्येष्ठ कृ. अमावास्या फाल्गुन शु. अष्टमी वैशाख शु. षष्ठी श्रावण शु. द्वितीया माघ कृ. षष्ठी भाद्रपद शु. षष्ठी चैत्र कृ. पंचमी फाल्गुन कृ. नवमी चैत्र कृ. अष्टमी ज्येष्ठ कृ. एकादशी आषाढ कृ. षष्ठी ज्येष्ठ कृ. दशमी कार्तिक कृ. प्रतिपदा वैशाख शु. त्रयोदशी भाद्रपद कृ. सप्तमी श्रावण कृ. दशमी फाल्गुन शु. तृतीया चैत्र शु. प्रतिपदा श्रावण कृ. द्वितीया भाद्रपद कृ. द्वितीया कार्तिक शु. षष्ठी वैशाख कृ. तृतीया आषाढ शु. षष्ठी परिशिष्ट - १ जन्म कल्याणक चैत्र कृष्णा नवमी पौष शुक्ला दशमी माघ शु. पूर्णिमा पौष शु. द्वादशी वैशाख कृ. दशमी कार्तिक कृ. त्रयोदशी ज्येष्ठ शु. द्वादशी पौष कृ. एकादशी माघ शु. नवमी पौष कृ. द्वादशी फाल्गुन शु. एकादशी फाल्गुन शु. चतुर्दशी पौष शु. चतुर्थी ज्येष्ठ कृ. द्वादशी पौष शु. त्रयोदशी ज्येष्ठ कृ. चतुर्दशी वैशाख शु. प्रतिपदा माघ शु. चतुर्दशी माघ शु. एकादशी चैत्र कृ. दशमी आषाढ कृ. दशमी श्रावण कृ. षष्ठी पौष कृ. एकादशी चैत्र शु. त्रयोदशी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001925
Book TitleKriyakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKishansinh Kavi
PublisherParamshrut Prabhavak Mandal
Publication Year2005
Total Pages348
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Principle
File Size21 MB
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