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________________ इद्रधनुष बैराग्य का निमित्त बना ४३ सरुभूति असह्य वेदना से तड़पने लगा । कमठ ने फिर दूसरा पत्थर मार कर कुचल दिया। मरुभूति आर्तध्यान युक्त मर कर विध्याचल में हाथी हुआ और सारे यूथ का अधिपति हो गया। कमठ की पत्नी वरुणा भी क्रोधादि अशुभ भावों में मर कर उसी यूथ में हथिनी हुई और यूथ पति की अत्यन्त प्रिय बन गई । यूथपति गजराज उसके साथ सुखभोग करता हुआ सुखपूर्वक विचरने लगा। इन्द्रधनुष वैराग्य का निमित्त बना पोतनपुर नरेश अरविंद शरद-ऋतु में अपनी रानियों के साथ भवन की छत पर बैठा हुआ प्रकृति की शोभा देख रहा था। उसकी दृष्टि आकाश में खिले हुए इन्द्रधनुष पर पड़ी, जो विविध रंगों में शोभायमान हो रहा था । बोदल छाये हुए थे। बिजली चमक रही थी। उस दृश्य ने राजा को मुग्ध कर दिया। किन्तु थोड़ी ही देर में वेगपूर्वक वायु चली और सारा दृश्य बिखर कर नष्ट हो गया। यह देख कर राजा ने सोचा"जिस प्रकार इन्द्रधनुष, विद्युत और मेघसमूह तथा इनसे बनी हुई शोभा नाशवान है, उसी प्रकार मनुष्य का शरीर, बल, रूप वंभव और भोग के साधन भी नाशवान हैं । इन पर मुग्ध होना तो मूर्खता ही है । जीवन भी इसी प्रकार समाप्त हो जाता है और मनुष्यभव पाप ही में व्यतीत हो कर दुर्गति में चला जाता है।" राजा की निर्वेदभावना बढ़ी। शुभ ध्यान और ज्ञानावरणीयादि कर्म के क्षयोपशम से उन्हें अवधिज्ञान उत्पन्न हो गया । संसार से विरक्त महाराजा अरविंद ने अपने पुत्र महेन्द्र को राज्य का भार दे कर समंतभद्राचार्य के समीप निग्रंथ-प्रव्रज्या धारण कर ली। गीतार्थ हो कर, एकलविहारप्रतिमा अंगीकार की और विचरने लगे। उनके लिए ग्राम, नगर, वन और पर्वत सभी समान थे। गजेन्द्र को प्रतिबोध __ महर्षि अरविंदजी विचरण करते हुए उसी बन में पहुँचे, जिसमें वह मरुभूति हाथी अपने यूथ की हथि नियों के साथ विचर रहा था। वह एक सरोवर में जलक्रीड़ा कर रहा था। महात्मा को देख कर हाथी कोपायमान हुआ और जलाशय से बाहर निकल कर महर्षि की ओर बढ़ा । महात्मा ने अवधिज्ञान से हाथी का पूर्वभव जाना और ध्यानारूढ़ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001917
Book TitleTirthankar Charitra Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1989
Total Pages498
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Literature, & Biography
File Size10 MB
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