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________________ तीर्थंकर चरित्र भाग ३ कककककककककककककक कककक कककककककककक कककककककक ककककककक कककक ककककककककककककककक ४६६ प्रकार प्रत्याख्यान, इसका अर्थ तथा संयम, संवर, विवेक और व्युत्सर्ग भी नही जानते हैं और न इनका अर्थ ही जानते हैं ।" स्थविर-- - 'हम सामायिक आदि का अर्थ जानते हैं ।" काला --" बताइये क्या अर्थ है -- इनका ।" स्थविर -- " आत्मा ही सामायिक है और आत्मा ही सामायिक का अर्थ है । इसी प्रकार प्रत्याख्यानादि और इसका अर्थ भी आत्मा ही है ।" काला--" आर्य ! यदि आत्मा हो सामायिक प्रत्याख्यानादि और इनका अर्थ है, तो फिर आप क्रोध, मान, माया और लोभ का त्याग कर के इन कोधादि की निन्दा गह क्यों करते हो ?" स्थविर - " 'हम संयमित रहने के लिए क्रोधादि की गर्दा करते हैं । " काला -- " गर्दा संयम है या अगर्हा ?" स्थविर -- " गर्दा संयम है, अगह नहीं। क्योंकि यह आत्मिक दोषों को नष्ट करती है और हमारी आत्मा संयम में स्थिर एवं पुष्ट रहती है । कालस्यवेषित पुत्र अनगार समझे और चार याम से पाँच महाव्रत संप्रतिक्रमण धर्म स्वीकार किया । तप-संयम की आराधना कर मुक्त हो गये । ( भगवती १ - ९ ) गांगेय अनगार ने भगवान् की सर्वज्ञता की परीक्षा की श्रमण भगवान् महावीर प्रभु वाणिज्य ग्राम के दुतिपलास उद्यान में विराज रहे थे । भगवान् पार्श्वनाथजी के शिष्यानुशिष्य गांगेय अनगार आय और निकट खड़े रह कर प्रश्न पूछने लगे | उन्हें भगवान् की सर्वज्ञ - सर्वदर्शिता में सन्देह था । उन्होंने नरयिका दि जावों के उत्पन्न होने, मरने ( प्रवेगनक उद्वर्तन) आदि विषयक जटिल प्रश्न पूछे, जिसके उतर भगवान् ने बिना रुके दिये। भगवान् के उत्तर से गांगेय अनगार को भगवान् की सर्वज्ञता पर श्रद्धा हुई। उन्होंने भगवान्‌ को वन्दना नमस्कार किया, चतुर्याम धर्म से पचमहात्रत स्वीकार कर और चारित्र का पालन कर के मुक्त हो गये । ( भगवती ६-३२ ) सोमिल ब्राह्मण का भगवद्वन्दन भगवान वाणिज्य ग्राम पधारे। वहाँ के वेदपाठी ब्राह्मण सोमिल ने भगवान् का आगमन सुना । उसने मन में निश्चय किया कि मैं श्रमण ज्ञातपुत्र के समीप जाऊँ और Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001917
Book TitleTirthankar Charitra Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1989
Total Pages498
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Literature, & Biography
File Size10 MB
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