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________________ अर्जुन अनगार की साधना और मुक्ति के धपतेज को शात प्रभा ने यक्ष के प्रकार का शांत कर दिया । यक्ष चकित एवं हतप्रभ हो, सुदर्शन को चारों ओर से घम कर देखने लगा । उसकी मारक उक्ति कु ण्ठत हो गई। वह अर्जुन के शरार से निकला और अपना मगर ले कर चला गया । यक्ष के निकल जाने पर अर्जुन का शरीर भूमि पर गिर पड़ा। अर्जुन अनगार की साधना और मुक्ति अर्जुन को भूमि पर गिरा हुआ देख कर सुदर्शन श्रमण पासक ने समझ लिया कि उपसर्ग टल गया है । उन्होने अपना सागारी सथाग पाल लिया। अर्जुन कुछ समय मूछित रहने के पश्चात् स्वस्थ हो कर उठा और सुदशन को देख कर पूछा-- - "आप कौन हैं ? कहाँ जा रहे हैं ?'' --" मैं इसी नगर का निवासी सुदर्शन श्रपणोपासक हूँ और परम तारक श्रमण भगवान महावीर प्रभु को वन्दन करने व धर्मोपदेश सुनने जा रहा हूँ' --सुदर्शन ने शाति पूर्वक कहा। --" महानुभाव ! मैं भी भगवान् की वन्दना करने आपके साथ चलना चाहता हूँ"--अर्जुन ने कहा। -"जैसी तुम्हारी इच्छा । उत्तम विचार हैं तुम्हारे ।"---सुदर्शन ने कहा। अर्जन भी सूदशनजी के साथ भगवान के समीप गये। वन्दना नमस्कार किया और भगवान् का परम-पावन उपदेश सुना । अर्जुन की आत्मा की भव स्थिति छह मास की ही शेष रही थी। भगवान् की वाणी से अर्जुन की आत्मा में ज्ञानदशन और चारित्र की ज्योति जगी। वे वहीं निग्रंथ-दीक्षा ग्रहण कर तपस्या करने लगे। निरन्तर बले-बेले तप करते रहने की उन्होंने प्रतिज्ञा की। वे प्रथम बेले के पारणे के दिन भगवान् की आज्ञा लेकर भिक्षा के लिय नगर में गये। उन्हें देख कर लोगों का क्रोध भड़का । कोई कहता"यह मेरे पिता का हत्यारा है, कोई कहता माता का, कोई भाई, काका, मामा आदि का मारक मान कर गालियाँ देता, कोई चपेटा मारता, कोई चूंसा मारता, कोई लातें, ठोकरें मारते, कोई लकड़ी से पीटते, पत्थर मारते, धूल डालते । इस प्रकार कठोर वचन और मार-पीट कर अपना रोष व्यक्त करने लगे। परंतु अर्जुन अनगार पूर्णरूप से शांत रहते एवं क्षमा धारण कर सभी प्रकार के परीषह सहन करने लगे। उन्हें ऐसे रुष्ट लोगों Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001917
Book TitleTirthankar Charitra Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1989
Total Pages498
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Literature, & Biography
File Size10 MB
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