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________________ सोमिल उपासक बन गया क कककककककककककककककककककककककककककककककब ८५ कककककककककककककककक बन्धुदत्त ने पूछा--"भगवन् ! यहां से मर कर मैं कहां उत्पन्न होऊँगा ?" प्रभु ने कहा--"यहाँ का आयुष्य पूर्ण कर के तुम दोनों सहस्रार देवलोक में जाओगे और वहां से च्यव कर पूर्व विदेह में चक्रवर्ती बनोगे । प्रियदर्शना स्त्री-रत्न होगी। चिरकाल तक भोग भोग कर तुम त्यागी निग्रंथ बनोगे और मुक्ति प्राप्त करोगे।" बन्धुदत्त और प्रियदर्शना ने भगवान के समीप निग्रंथ-प्रव्रज्या स्वीकार की। सोमिल उपासक बन गया भगवान् पार्श्वनाथ स्वामी ग्रामानुग्राम विचरते हुए वाराणसी नगरी पधारे और आम्रशाल वन में बिराजे । वाराणसी में सोमिल ब्राह्मण रहता था। वह वेद-वेदांग और अनेक शास्त्रों का समर्थ विद्वान् था। भगवान् का आगमन जान कर सोमिल के मन में विचार हुआ--'पार्श्वनाथ सर्वज्ञ सर्वदर्शी कहलाते हैं और उनकी बड़ी प्रशंसा सुनी जाती है । मैं आज उनके पास जाऊँ और उनके चारित्र सम्बन्धी तथा कुछ ऐसे प्रश्न पूछ् कि जिनके कई अर्थ--उत्तर हो सकते हैं । वे जो उत्तर देंगे, उनसे विपरीत अथवा अन्य अर्थ बता कर उन्हें निरुत्तर कर के अपनी धाक जमा दूंगा और यदि उन्होंने ठीक उत्तर दे कर मुझे संतुष्ट कर दिया, तो मैं वन्दना-नमस्कार करूँगा और उनका उपासक बन जाउँगा"--- इस प्रकार संकल्प कर वह अकेला ही भगवान् के समक्ष उपस्थित हुआ और सहसा प्रश्न पूछा ; "महात्मन् ! आप के यात्रा है ?" "हाँ, सोमिल ! मेरे में यात्रा है।" "कैसी यात्रा है-आपके ?" "सोमिल ! तप, नियम, संयम, स्वाध्याय, ध्यान और आवश्यकादि योगों में प्रवृत्ति करना ही मेरो यात्रा है"-भगवान् ने कहा। "आपके मत में यापनीय (अधिकार में रखने योग्य) क्या है ?" "श्रोत आदि पांच इन्द्रियां मेरे अधिकार में हैं और क्रोधादि कषायें मेरी नष्ट हो चुकी है । यही मेरे यापनीय है।" "भगवन् ! आपके अव्याबाध क्या है"--सोमिल ने पूछा। "मेरे वात-पित्त-कफ और शारीरिक रोग उपशांत है। यह मेरे अव्याबाध है"भगवान् ने कहा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001917
Book TitleTirthankar Charitra Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1989
Total Pages498
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Literature, & Biography
File Size10 MB
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