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आगमों में भगवान् ऋषभदेवजी का जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति सूत्र में, भ. मल्लिनाथ का ज्ञाताधर्म कथा सूत्र में, भ. अरिष्टनेमिजी का उत्तराध्ययन में और भ. महावीरस्वामीजी का आचारांग सूत्र में संक्षेप में कुछ उल्लेख है ।
हमारे इस चरित्र का मुख्य आधार ' त्रिषष्ठि शलाका पुरुष चरित्र' है, परन्तु इसके कई विधानों में, आगमिक विधानों से भेद दिखाई दिया है । अपना बस चलते हमने आगमिक विधानों को ही स्थान दिया है, परन्तु कई स्थानों पर उपयोग नहीं लगने के कारण आगम-विरुद्ध विधान भी हो गए होंगे - हुए हो होंगे । इसलिये में अपने इस चरित्र को पूर्ण रूप से प्रामाणिक बतलाने का साहस नहीं कर सकता । पूर्णरूप से प्रामाणिक तो आगम ही हैं । आगमों से जिन ग्रंथों का मत-भेद रहे, उन ग्रंथों को पूर्ण रूप से प्रामाणिक कैसे माना जाय ?
(६)
ग्रंथकार ने तीसरे ' मघवा' और चौथे ' सनत्कुमार' चक्रवर्ती को वैमानिक देवलोक में उत्पन्न होना लिखा है, जब कि आगमाधार से हमने मोक्षगामी माना है । ग्रंथकार ने प्रथम जिनेश्वर की पुत्री सुन्दरीजी को ब्राह्मीजी के साथ दीक्षित होना नहीं मान कर हजारों वर्ष पश्चात् दीक्षित होना माना है (पृ. ८० ) 1
(२) ग्रंथकार ने भ. आदि जिनेश्वर के समवसरण में साधु-साध्वियों की उपस्थिति का उल्लेख किया है (पृ. ६५) किन्तु उस समय कोई साधु-साध्वी थे ही नहीं ।
(३) चक्रवर्ती और वासुदेव अपने समय के सर्वोत्तम नरेश होते हैं । तीर्थंकरों को छोड़ कर अन्य कोई भी मनुष्य उनसे अधिक बलवान् नहीं हो सकता, किन्तु प्रथम चक्रवर्ती सम्राट को अपने लघुबन्धु बाहुबली से पराजित होना बतलाया है (पृ. ९३ - ९७ ) । (४) सगर चक्रवर्ती के साठ हजार पुत्रों के सामूहिक मरण का वृत्तांत ग्रंथकार ने दिया, वह हमें विश्वस्त नहीं लगता (पृ. १४१ पादटिप्पण) ।
(५) त्रिपृष्ट वासुदेव की उत्पत्ति महान् अनैतिक संयोग से बताई है (पृ. २१०
२१५) ।
भगवान् मल्लिनाथ के चरित्र में ज्ञाता सूत्र और त्रि.श. पु. चरित्र के मन्तव्यों में बहुत अन्तर है । ज्ञाता सूत्र में भगवान् को 'जयंत' नामक अनुत्तर विमान से च्यव कर आना लिखा है, तब ग्रंथकार 'वैजयंत' बतला रहे हैं। सूत्र में कुंभराजा और छहों नरेशों के परस्पर युद्ध होने का स्पष्ट उल्लेख है, किन्तु ग्रंथ में मात्र नगर को घेरने का ही लिखा है। सूत्र में दीक्षा तिथि पौष शु. ११ लिखी है, तब ग्रंथकार मार्गशीर्ष शु. ११ बतलाते हैं । सूत्रकार उसी दिन केवलज्ञान होना बतलाते हैं और ग्रंथकार भी यही बतलाते हैं, परन्तु
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