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सनतकुमार चक्रवती का अलोकिक रूप
इन्द्र की यह बात विजय और वैजयंत नाम के दो देवों को नहीं रुची। उन्होंने सोचा--'इन्द्र अतिशयोक्ति कर रहे हैं। कहीं औदारिक-शरीरधारी मनुष्य का भी इतना उत्तम रूप हो सकता है ?' वे दोनों देव सनत्कुमार का रूप देखने के लिए पृथ्वी पर आये और ब्राह्मण के वेश में द्वारपाल के पास आ कर राजा के दर्शन करने की इच्छा व्यक्त की । उस समय महाराजाधिराज शरीर पर से वस्त्र उतार कर, मर्दन एवं स्नान करने की तय्यारी कर रहे थे। जब सम्राट को ब्राह्मणों के आगमन की सूचना मिली, तो उन्होंने उन्हें शीघ्र उपस्थित करने की आज्ञा दी। दोनों ब्राह्मणों ने जब महाराजा सनत्कुमार का रूप देखा, तो चकित रह गए। उनके मन में विचार हुआ कि--"अहो ! कितना सुन्दर रूप है। इनका सुन्दर ललाट, अष्टमी के चन्द्रमा का तिरस्कार करता है । इनके नेत्र कान तक खिचे हुए नील-कमल की कान्ति को भी जीत लेते है। ओष्ठ लाल रंग के पक्व बिवफल की कान्ति का पराभव करते हैं, कान शीप की शोभा को लज्जित करते हैं । गर्दन पांचजन्य शंख को जीत लेती है, भुजाएँ गजराज की सूंड से भी अधिक सुशोभित हैं । वक्षस्थल स्वर्णमय शिला से भी अधिक महत्वपूर्ण है । इस प्रकार उनके शरीर के प्रत्येक अंग और उपांग अनुपम, आकर्षक एवं सुन्दरतम है । इस अपूर्व स्वरूप का वर्णन करने में वाणी भी असमर्थ है। वास्तव में सम्राट सनतकुमार का रूप उत्कृष्ट एवं अलोकिक है । देवेन्द्र ने जो प्रशंसा की, वह यथार्थ ही थी।"
ब्राह्मणों को विचारमग्न देख कर सम्राट ने पूछा-- "हे द्विजोत्तम ! तुम्हारे आगमन का क्या प्रयोजन है ?"
--" नरेन्द्र ! हम बहुत दूर देश से आये हैं । जनता में आपके रूप की अत्यधिक प्रशंसा सुन कर, हम मात्र दर्शन के लिए ही यहाँ आये हैं और हम कृतार्थ हुए हैं--आपके दर्शन पा कर । हमने जो कुछ सुना था, उससे भी अत्यधिक एवं अलौकिक रूप आपका हमारे देखने में आया"-विप्रों ने कहा ।
“अरे विप्रों ! तुमने क्या रूप देखा है मेरा ? अभी तो मेरा शरीर उबटन से व्याप्त है । स्नान भी अब तक नहीं किया और वस्त्राभूषण भी नहीं पहने । तुम थोड़ी देर ठहरो। नब मैं सुसज्जित हो कर राज-सभा में आऊँ, तब तुम मेरे उत्कृष्ट रूप को देखना।"
इस प्रकार कह कर नरेश स्नानादि से निवृत्त हुए और सुसज्जित हो कर राज-सभा में आये । तत्काल दोनों ब्राह्मणों को बुलाया गया। ब्राह्मण, राजा का विकृत रूप देख कर खेद करने लगे--"अहो ! यह क्या हो गया ? जो रूप हमने थोड़ी देर पहले देखा था.
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