________________
२५६
तीर्थङ्कर चरित्र
कर सिद्ध पद को प्राप्त हुए ।
___ स्वयंभू वासुदेव महा आरम्भ, महा परिग्रह तथा भोग में लुब्ध हो कर और क्रूर कर्म करते हुए अपनी साठ लाख वर्ष की आयु पूर्ण कर के छठी नरक में गये । इनकी मृत्यु के बाद भद्र बलदेव विरक्त हो कर मुनिचन्द्र अनगार के पास प्रवजित हो गए। संयम और तप का उत्कृष्ट रूप में पालन कर के और अपनी पैंसठ लाख वर्ष की आयु पूर्ण कर के मोक्ष पधारे ।
तेरहवें तीर्थंकर
भगवान् ॥ विमलनाथजी का चरित्र सम्पूर्ण ॥
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org