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( १०) क्रमांक विषय
पृष्ठ क्रमांक विषय ४९ युद्ध का आयोजन और समाप्ति ८९ ७१ राक्षस वंश
१४० ५० भरतेश्वर के बल का परिचय ९१ | ७२ पुत्रों का सामूहिक मरण ५१ भरत बाहुबली का द्वंद्व-युद्ध ९३ ७३ शोक-निवारण का उपाय ५२ बाहुबलीजी की कठोर साधना ६७ ७४ मांगलिक अग्नि कहाँ है १४३ ५३ योगीराज को बहिनों द्वारा उद्बोधन ६८ | ७५ इन्द्रजालिक की कथा
१४७ ५४ भरतेश्वर का पश्चाताप और ७६ मायावी की अद्भुत कथा १५० साधर्मी सेवा
७७ सगर चक्रवर्ती की दीक्षा १५४ ५५ मरीचि की कथा
१०६ ७८ भगवान् का निर्वाण १५७ ५६ मरीचि अंतिम तीर्थंकर होंगे।
भगवान् संभवनाथजी १५८ ५७ भगवान का मोक्ष गमन ५८ भरतेश्वर को केवलज्ञान और ७९ भयंकर दुष्काल में संघ-सेवा १५८ निर्वाण
८. धर्मदेशना-अनित्य भावना १६१ ५९ टिप्पणी-सुनार की कथा का ।
भगवान् अभिनन्दनजी १६५ औचित्य
८१ धर्मदेशना--अशरण भावना १६६ भगवान् अजितनाथजी ११९
भगवान् सुमतिनाथजी १६६ ६० वैराग्य का निमित्त
१२० ६१ तीर्थंकर और चक्रवर्ती का जन्म १२२
८२ महारानी का न्याय
१७० ६२ सगर का राज्याभिषेक और प्रभु
८३ धर्मदेशना--एकत्व भावना १७२ की प्रव्रज्या
१२६ भगवान् पद्मप्रभःजी १७५ ६३ धर्मदेशना--धर्म ध्यान
८४ धर्मदेशना--संसार भावना ६४ आज्ञा विचय
८५ नारक की भयंकर वेदना ६५ अपाय विचय
८६ तिर्यंच गति के दुःख
१७८ ६६ विपाक विचय
८७ मनुष्य गति के दुःख
१८० ६७ संस्थान विचय
८८ देव-गति के दुःख
१८१ ६८ गणधरादि की दीक्षा १३४ ६९ शुद्धभट का परिचय
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भगवान सुपार्श्वनाथजी १८५ ७० मेघवाहन और सगर के पूर्व भव १३८ । ८९ धर्मदेशना-अन्यत्व भावना १८६
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