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पंचसंग्रह : १०
(क्रमशः)
मार्गणा भेदों में गोत्रकर्म के संवेध का प्रारूप
संवेधगत प्र
श्रुत अज्ञान
सामायिक चारित्र
छेदोपस्था
पनीय चा.
| परिहार
विशुद्धिचा.
| क्रम मार्गणा
सूक्ष्मसंप
राय चा.
३७
नीच का बंध नीच का उदय नीच की सत्ता नीच का बध नीच का उदय नीन उ. की सत्ता नीच का बंध उच्च का उदय नी. उ. की सत्ता उच का बंध नीच का उदय नी. उ. की सत्ता उच्च का बंध उच्च का उदय नी. उ. की सत्ता
अबध उच्च का उदय नी. उ. का सत्ता
अबंध उच्च का उदय उच्च को सत्ता
प्रत्येक मार्गणा में कुल संवेध
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