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पंचसंग्रह : १०
(क्रमशः) (२) मार्गणा भेदों में दर्शनावरण कर्म के संवेध का प्रारूप
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संवेधगत प्रकृति :
" श्रुत अज्ञान
विभंग ज्ञान
सामायिक
चारित्र
छेदोपस्था पनीय चा.
परिहार
विशुद्धिचा.
सूक्ष्मसंप
राय चा.]
क्रम
३४ । ३५ ।
G
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४ का बंध ४ का उदय ६ की सत्ता
.
अबंध ४ का उदय है की सत्ता
अबंध ५ का उदय ६ की सत्ता
अबंध ४ का उदय ६ की सत्ता
अबंध ४ का उदय ४ की सत्ता
प्रत्येक मार्गणा में
कुल संवेध
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