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३० प्र.
सवं शुभ प्रकृति होने से
देवायोग्य बंध में
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३१ प्र.
सूक्ष्मसंपराय गुणस्थान (१) यशःकीति मात्र के बंध की अपेक्षा
सप्ततिका-प्ररूपणा अधिकार : परिशिष्ट १०
यशःकीन बंध मात्र से
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३८१