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बधस्थान
भंग प्राप्ति
प्रायोग्य बध में
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आत. उद्यो.. स्थि. अस्थि. .
२६ प्र.
१६
पर्याप्त प्रत्येक बादर प्रायोग्य बंध
शु. अणु. ४ यश. अयणः = १६
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विकलेन्द्रिय प्रायोग्य बंध में (१७,१७,१७) प्रतिपक्ष प्रकृति के अभाव से
२५ प्र.
।
अपर्याप्त विकलेन्द्रिय प्रायोग्यबंध
स्थि. अस्थि. ४ शु. अशु.
यश. अयश.
२६ प्र.
पर्याप्त
,
३० प्र.
"
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ये १७ भंग द्वीन्द्रिय प्रायोग्य हैं । इसी प्रकार से त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय प्रायोग्य में भी जानना चाहिये । अतः विकलेन्द्रिय प्रायोग्य बंध का कुल योग ५१ होता है।
पंचसंग्रह : १०