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पंचसंग्रह भाग ७ : परिशिष्ट ६
पतद्ग्रहस्थानों में संक्रमस्थान
स्थानों में संक्रमस्थान
-
प्रकृतिक
गुणस्थान
संक्रमकाल
स्वामी
सत्ता
प्रथम
पल्योपमासंख्येयभाग
त्रिपुजी मिथ्यादृष्टि उद्वलित सम्य. मोह. | द्विपुजी अनन्तानुबन्धी की प्रथम बंधावलिका में
एक आवलिका
अनादि अनन्तादि तीन भंग अनादि मिथ्यात्वी ६ आवलिका
सास दनी
द्वितीय
चतुर्थ
एक आवलिका उपशम सम्यक्त्वी प्रथम
आवलिका में अन्तर्मुहुर्त
उपशम सम्यक्त्वी प्रथम
आवलिका बाद ४थे गुणस्थान में क्षयोप- क्षायोपशमिक सम्यग्दृष्टि शम रहने तक अन्तर्मुहूर्त
अनन्ता. की विसंयोजना
बाद उपशम सम्यक्त्वी ४थे गुणस्थान में क्षयोप- अनन्ता. की विसंयोजना शम रहने तक
बाद वेदक सम्यक्त्वी
२३
,
अन्तर्मुहूर्त
क्षपित अन. मिथ्यात्व, वेदक सम्यग्दृष्टि
२८/२७
तृतीय
अन्तर्मुहूर्त
मिश्रदृष्टि
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