________________
(
२४ )
गाथा ३७
६१-६३ पूर्वोक्त उत्कृष्टा वर्गद्वय की प्रकृतियों के उत्कृष्ट स्थितिसंक्रम का परिमाण
६१ गाथा ३८, ३६
६३-६७ तीर्थकरनाम, आहारकसप्तक एवं आयुचतुष्क का बंध, संक्रम
उत्कृष्टत्व विषयक समाधान गाथा ४०, ४१
९७-१०१ पतद्ग्रह प्रकृति के बंधाभाव में भी संभव संक्रमवाली प्रकृतियों की स्थिति के संक्रम का प्रमाण
६७ गाथा ४२
१०१-१०३ बंधोत्कृष्टा, संक्रमोत्कृष्टा प्रकृतियों की यस्थिति १०१
उत्कृष्ट संक्रमस्थिति एवं यस्थिति का प्रारूप पाथा ४३
१०३-१०५ आयुकर्म की यत्स्थिति
१०३ जघन्य स्थितिसंक्रम प्रमाण
१०४ पाथा ४४
१०५-१०६ जघन्य स्थितिसंक्रम-स्वामी
१०६ था ४५
१०६-१०७ जघन्य स्थिति संक्रम का लक्षण
१०७ mथा ४६
१०८-१०६ संज्वलनलोभ, ज्ञानावरणपंचक, अंतरायपंचक, दर्शनावरण चतुष्क, आयुचतुष्क का जघन्य स्थितिसंक्रम प्रमाण था ४७
१०९-११० सम्यक्त्वमोहनीय का जघन्य स्थितिसंक्रम प्रमाण । ११० तथा ४८
१११-११२ निद्राद्विक, हास्यषट्क का जघन्य स्थितिसंक्रम प्रमाण १११
१०८
For Private & Personal Use Only
Jain Education International
www.jainelibrary.org