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सूक्ष्म
गुणस्थान
एके.
उच्छ्वास सत्ता
वाले पराघात, शुभ विहायो.त्रसदशक, निर्माण
पर्यन्त " वत्तम
वर्तमान
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क वज्रऋ. औदारिक सप्तक
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, उत्कृष्ट
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अनु.
सादि ! .. अति अप्राप्त विशुद्ध ।
सम्य देव
संक्रम से पतित
उद्योत
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सम्यक्त्व अभिमख सप्तम. नारक विशुद्ध पर्या. संज्ञी पंचे.
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वालाय. दवावका
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वैक्रिय ७. देवद्विक उच्चगोत्र, आतप, तीर्थ. आहा. ७ । मनुष्यद्विक,शुभायुत्रिक उक्त से शेष स्त्यानद्धित्रिक " आदि ५६ अशुभ प्रकृति
""XX " " " "XX सक्लिष्ट
पो . संज्ञी पंचेन्द्रिय
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