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पंचसंग्रह : ६
६५ का जघन्य अनु. अनन्तगुण उससे-५५ का उत्कृष्ट अनु. अनन्तगुण उससे
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७०
७२
७३ ७४
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७६
७७
७८
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अवशिष्ट कण्डक
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१. परावर्तमान अशुभ प्रकृतियों की जघन्य स्थिति का जघन्य अनुभाग सर्वस्तोक (अल्प) है। जिसे प्रारूप में २१ के अङ्क से बतलाया है। इसी प्रकार द्वितीय, तृतीय, यावत् सागरोपम शतपृथक्त्व प्रमाण तक सर्वस्तोक जानना। जिसे प्रारूप में २१ के अङ्क से लेकर ५० तक के अङ्ग पर्यन्त बताया है।
२. उसके बाद उपरितन स्थिति में जघन्य अनुभाग अनन्तगुणा है । इसी