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बन्धविधि-प्ररूपणा अधिकार : परिशिष्ट १
एगपएसोगाढे सव्वपएसेहिं कम्मणोजोग्गे । जीवो पोग्गलदवे गिण्हइ साई अणाई वा ।।७७।। कमसो वुड्ढठिईणं भागो दलियस्स होइ सविसेसो । तइयस्स सबजेट्ठो तस्स फुडत्त जओ णप्पे ।।७।। जं समयं जावइयाई बंधए ताण एरिसविहीए । पत्त यं पत्त यं भागे निव्वत्तए जीवो ।।७।। जह जह य अप्पपगईण बधंगो तहतहत्ति उक्कोसं । कुब्बइ पएसबंधं जहन्नयं तस्स च्चासा ।।८।। नाणंतराइयाणं परभागा आउगस्स नियगाओ। परमो पएसबंधो सेसाणं उभयओ होइ ।।१।। उक्कोसमाइयाणं आउम्मि न संभवो विसेसाणं । एवमिणं किंतु इमो नेओ जोगट्टिइविसेसा ॥८२।। मोहाउयवज्जाणं अणुक्कोसो साइयाइओ होइ । साई अधुवा सेसा आउगमोहाण सव्वेवि ।।३।। छब्बंधगस्स उक्कस्सजोगिणो साइअधुवउक्कोसो।। अणुक्कोस तच्चुयाओ अणाइ अधुवा धुवा सुगमा ।।४।। होइ जहन्नोऽपज्जत्तगस्स सुहुमनिगोयजीवस्स । तस्समउप्पन्नग
सत्तबंधगस्सप्पविरियस्स ।।५।। एक्कं समयं अजहन्नओ तओ साइ अधुवा दोवि । मोहेवि इमे एवं आउम्मि य कारणं सुगमं ।।८६।। मोहस्स अइकिलेटे उक्कोसो सत्तबंधए मिच्छे । एक्कं समयं णुक्कोसओ तओ साइअधुवाओ ।।८।। नाणंतरायनिद्दाअणवज्जकसायभयदुगंछाण । दसणचउपयलाणं चउविगप्पो अणुक्कोसो ।।८।। नियय अबंधचुयाणं णुक्कोसो साइणाइ तमपत्त । सेसा साई अधुवा सव्वे सव्वाण सेस पगईणं ।।८।।
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