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( ५० )
४००
गाथा १३५
३६६-४०० मिश्रमोहनीय और अनन्तानुबंधिचतुष्क का निश्चित एवं भजनीय सत्ता स्वामित्व
३६६ गाथा १३६
४००-४०१ मध्यम कषायाष्टक एवं स्त्यानद्धित्रिक का सत्ता
स्वामित्व गाथा १३७
४०१-४०१ एकान्त तिर्यंच प्रायोग्य प्रकृतियां
४०१ गाथा १३८
४०२-४०३ क्षपकणि के आरम्भ की अपेक्षा नपुसकवेद, स्त्रीवेद, हास्यषट्क, पुरुषवेद का सत्ता स्वामित्व
४०२ गाथा १३६, १४०
स्त्रीवेद के उदय में क्षपक श्रेणि आरम्भक के प्रकृ.
तियों के क्षय का क्रम गाथा १४?
४०५-४०६ आहारकसप्तक व तीर्थकरनाम के सत्ता स्वामित्व सम्बन्धी गुणस्थान
४०५ गाथा १४२
४०६-४०७ अन्यतर वेदनीय, उच्चगोत्र, चरमोदया नाम प्रकृतियों और मनुष्यायु का सत्ता स्वामित्व स्थिति सत्कर्म प्ररूपणा के अर्थाधिकारों के नाम
४०७ गाथा १४३
४०८ -४१० स्थिति सत्कर्मापेक्षा मूलकर्मों की सादि-अनादि प्ररूपणा
४०३-------४०५
४०४
४०७
४०६
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