SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 469
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४०८ पंचसंग्रह : ५ स्थितिसत्कर्म को सादि-अनादि प्ररूपणा मूलठिई अजहन्ना तिहा च उद्धा उ पढमयाण भवे । धुवसंतीणपि तिहा सेसविगप्पाऽधुवा दुविहा ॥१४३॥ शब्दार्थ- मूलठिई-मूल प्रकृतियों की स्थिति, अजहन्ना-अजघन्य, तिहा--तीन प्रकार की, चउद्धा-चार प्रकार की, उ-और, पढमयाण-प्रथम (अनन्तानुबंधि) की, भवे-होती है, धुवसंत णंपि-ध्र वसत्ता वाली प्रकृतियों की भी, तिहा–तीन प्रकार की, सेसविगप्पा-शेष विकल्प, अधुवा-अध्र वसत्ता वाली प्रकृतियों के, दुदिहा-दो प्रकार के हैं। गाथार्थ-मूल कर्मों की अजघन्य स्थितिसत्ता तीन प्रकार की है और प्रथम (अनन्तानुबंधि) कषायों की चार प्रकार की है तथा शेष ध्र वसत्ता वाली प्रकृतियों की भी अजघन्य स्थितिसत्ता तीन प्रकार की है तथा उक्त प्रकृतियों के शेष विकल्प और अध्र वसत्ता वाली प्रकृतियों के सब विकल्प दो प्रकार के हैं। विशेषार्थ-गाथा में मूल और उत्तर प्रकृतियों की स्थितिसत्ता के जघन्य आदि प्रकारों के विकल्प को बतलाया है। मूल प्रकृतियों के विकल्पों का निर्देश इस प्रकार है __ 'मूलठिइ अजहन्ना तिहा' अर्थात् मूल कर्मप्रकृतियों की अजघन्य स्थितिसत्ता अनादि, ध्र व और अध्र व इस तरह तीन प्रकार की है। जो इस प्रकार जानना चाहिये----- ___मूल कर्मप्रकृतियों की जघन्य स्थिति की सत्ता अपने-अपने क्षय के अन्त में जब एक समय मात्र शेष रहे, तब होती है। वह जघन्य सत्ता एक समय मात्र होने से सादि है। उसके सिवाय अन्य सब स्थितिसत्ता अजघन्य है । उस अजघन्य स्थिति की सत्ता का सर्वदा सद्भाव होने से अनादि है । अभव्य के ध्र व और भव्य के अध्र व है तथा उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट स्थिति की सत्ता क्रमशः अनेक बार होने से सादि और अध्र व है तथा जघन्य स्थिति की सत्ता के सादि और अध्र व होने का निर्देश ऊपर किया जा चुका है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001902
Book TitlePanchsangraha Part 05
Original Sutra AuthorChandrashi Mahattar
AuthorDevkumar Jain Shastri
PublisherRaghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
Publication Year1985
Total Pages616
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy