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( ३६ ) स्थितिबंध प्ररूपणा के अधिकार
१४७ , गाथा ३१
१४८-१५१ मूल प्रकृतियों का उत्कृष्ट स्थितिबंध
१४८ गाथा ३२
१५१-१५३ मूलकर्म प्रकृतियों की जघन्य स्थिति
१५२ गाथा ३३
१५४-१५५ ___ वर्णचतुष्क की उत्तर प्रकृतियों की उत्कृष्ट स्थिति १५४ गाथा ३४
१५५–१५६ असातावेदनीय, आवरणादि, अन्तराय, मिथ्यात्वमोहनीय, स्त्रीवेद, मनुष्यद्विक, सातावेदनीय की उत्कृष्ट स्थिति
१५६ गाथा ३५
१५७-१५८ प्रथम संस्थान, संहनन, सूक्ष्मत्रिक, विकलेन्द्रियत्रिक, कषायमोहनीय की उत्कृष्ट स्थिति
१५७ गाथा ३६
१५६--१६१ पुरुषवेद, हास्य, रति, उच्च गोत्र, शुभखगति, स्थिरषट्क देवद्विक की उत्कृष्ट स्थिति
१६० अबाधा काल नियम
१६१ गाथा ३७
१६१.-१६४ आयु चतुष्क की उत्कृष्ट स्थिति
१६१ आयु चतुष्क के अबाधा काल सम्बन्धी स्पष्टीकरण १६२ गाथा ३८, ३६
१६५-१६६ _आयुबंध विषयक शंका
१६५ गाथा ४०
१६७-१६६ आयूबंध विषयक शंका का समाधान गाथा ४१
१६६-- १७० परभवायुबंधक शेष जीवों की अबाधा का प्रमाण
१७०
१६७
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