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पंचसंग्रह : ५ और आयुकर्म का भाग भी इनको प्राप्त होता है और दर्शनावरणचतुष्क में स्वजातीय अबध्यमान निद्रापंचक के भाग का भी प्रवेश होता है। इसलिये इन चौदह प्रकृतियों के उत्कृष्ट प्रदेशबंध का स्वामी सूक्ष्मसंपरायगुणस्थानवी जीव है । __उत्कृष्ट योगस्थान में वर्तमान और अनुक्रम से चार, तोन, दो
और एक प्रकृति का बंध करने वाला अनिवृत्तिबादरसंपरायगुणस्थानवर्ती जीव संज्वलन क्रोध, मान, माया और लोभ के उत्कृष्ट प्रदेशबंध का स्वामी है। क्योंकि बंध से विच्छिन्न हुई प्रकृतियों का भाग उन-उनको प्राप्त होता जाता है।
निद्राद्विक के उत्कृष्ट प्रदेशबंध के स्वामी उत्कृष्ट योगस्थान में वर्तमान, सात कर्म के बंधक चौथे अविरतसम्यग्दृष्टिगुणस्थान से लेकर आठवें अपूर्वकरणगुणस्थान तक के जीव हैं। इन सभी गुणस्थानों में उत्कृष्ट योगस्थान और इन प्रकृतियों का बंध संभव है एवं स्त्यानझित्रिक और आयु के भाग का प्रवेश होता है। ____ भय और जुगुप्सा के उत्कृष्ट प्रदेशबंध का स्वामी उत्कृष्ट योगस्थान में वर्तमान अपूर्वकरणगुणस्थानवी जीव है। क्योंकि उनका उत्कृष्ट प्रदेशबंध करते समय मिथ्यात्व, अनन्तानुबंधि, अप्रत्याख्यानावरण और प्रत्याख्यानावरणादि चतुष्क प्रकृतियों के भाग का भी उनमें प्रवेश होता है।
अप्रत्याख्यानावरणकषाय के उत्कृष्ट प्रदेशबंध का स्वामी सातकर्मों का बंधक उत्कृष्ट योग में वर्तमान अविरतसम्यग्दृष्टि जीव है । क्योंकि आयु, मिथ्यात्व और अनन्तानुबंधि के भाग का उसमें प्रवेश होता है।
प्रत्याख्यानावरणकषाय के उत्कृष्ट प्रदेशबंध का स्वामी सात का बंधक, उत्कृष्ट योगस्थान प्राप्त देशविरत है। क्योंकि मिथ्यात्व, अनन्तानुबंधि, अप्रत्याख्यानावरण और आयु के भाग का भी इसमें प्रवेश हो जाता है।
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