________________
दिगम्बर कर्मसाहित्य में गुणस्थानापेक्षा उत्तर
बंधप्रत्ययों के भंग
22
दिगम्बर कर्मसाहित्यानुसार गुणस्थानों में मूल एवं उत्तर बंघप्रत्ययों का विवेचन करने के पश्चात् अब गुणस्थानों की अपेक्षा एक जीव के एक समय में सम्भव जघन्य, मध्यम और उत्कृष्ट बंधप्रत्ययों और उनके भंगों का निर्देश करते हैं। ___ एक जीवापेक्षा गुणस्थानों में एक समय में सम्भव जघन्य, मध्यम और उत्कृष्ट उत्तर बंधप्रत्यय इस प्रकार हैंगुणस्थान नाम जघन्य बंधप्रत्यय मध्यम बंधप्रत्यय उत्कृष्ट बधप्रत्यय मिथ्यात्व
११ से १७ सासादन
११ से १६ मिश्र
१० से १५ अविरतसम्यग्दृष्टि
१० से १५ देशविरत
६ से १३ प्रमत्तविरत अप्रमत्तविरत अपूर्वकरण अनिवृत्तिकरण सूक्ष्मसंपराय उपशान्तमोह क्षीणमोह सयोगिकेवली अयोगिकेवली Jain Education International
w
m wwwxxx1shn००
w
w X
X
9 9 9 mr on r
X
X
X
X
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org