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________________ परिशिष्ट कर्मग्रन्थ भाग-३ २६५ २३ असंनि अणाहार आहारदु आयव आहार आणयाइ आहार-छग आहार-दुग असंज्ञिन् असंज्ञी आ अनाहारक अनाहारक मार्गणा आहारक-द्विक आहारक-द्विक नामकर्म आतप आतप नामकर्म आहारक आहारक द्विक-नामकर्म आनतादि आनत आदि देवलोक आहारक-षटक आहारक आदि छह प्रकृतियाँ आहारक-द्विक आहारक तथा आहारक मिश्रयोग आदिम प्रथम आहारक आहारक मार्गणा आयुष् आयु आहारक-द्विक आहारक-द्विक नामकर्म आदिलेश्यात्रिक कृष्ण आदि तीन लेश्याएं १९ २० २१ आइम आहारग आउ आहार-दुग आइलेसतिग २१ miu इत्थि इगसउ इय इगनवई इगिदितिग स्त्री एकशत इति एक नवति एकेन्द्रिय-त्रिक एकेन्द्रिय एकादशम् इमाः स्त्री वेद नामकर्म एक सौ एक इस प्रकार एकानवे एकेन्द्रिय आदि तीन प्रकृतियाँ एकेन्द्रिय मार्गणा ग्यारह यह १० इगिंदि इक्कार इदम् (इमा:) २२ ३ GWW औदारिक-द्विक उद्योत उरलदुग उज्जोअ उच्च उज्जोअ-चउ औदारिक-द्विक नामकर्म उद्योत नामकर्म उच्च गोत्र उद्योत आदि चार प्रकृतियाँ उच्च ७ १३ उद्योत-चतुष्क Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001894
Book TitleKarmagrantha Part 1 2 3 Karmavipaka Karmastav Bandhswamitva
Original Sutra AuthorDevendrasuri
AuthorSukhlal Sanghavi
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2008
Total Pages346
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size15 MB
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