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________________ परिशिष्ट कर्मग्रन्थ भाग-१ २२५ २२५ हिन्दी संस्कृत मिश्रक मिश्र मोहनीय पृ. ४६ मोक्षतत्त्व पृ. २७ मोक्ष मुनि साधु गाथा-अङ्क प्राकृत ३२ मीसय १५ मुक्ख ५६ मुणि २ मूलपगइ २ मोयग ३,१३ मोह १३ मोहणीय मूलप्रकृति मुख्य-प्रकृति मोदक लड्डू मोह मोहनीय मोहनीयकर्म पृ. ६,२४ मोहनीयकर्म पृ. ९ और ७,१७,३९, य ५७ ९,३५,३६ जं ४५ जं २१ जस्स क्योंकि जिसका जिस कारण जिससे जेणं १५ जेणं ५७ रअ २१ रइ रति ४५ रविबिंब रविबिम्ब २ रस रस २४,४१ रस रस ६० रहिअ रहित १९ राई राजी १६ राग ५३ राय राजन् ८ रिउमइ ऋजुमति २९ रिसह ऋषभ ३८ रिसहनाराय ऋषभनाराच ६० रुइ ४१,४२ रुक्ख रुक्ष आसक्त प्रेम, अनुराग सूर्य मण्डल रस रस नामकर्म पृ. ५९,५८ त्यक्त रेखा, लकीर प्रीति, ममता राजा मन:पर्यायज्ञान-विशेष पृ. १६ पट्ट बेठन ऋषभनाराच संहनन पृ. ५४ अभिलाष रूक्ष स्पर्श नामकर्म पृ. ५८,५९ रुचि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001894
Book TitleKarmagrantha Part 1 2 3 Karmavipaka Karmastav Bandhswamitva
Original Sutra AuthorDevendrasuri
AuthorSukhlal Sanghavi
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2008
Total Pages346
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size15 MB
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