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________________ २१२ परिशिष्ट कर्मग्रन्थ भाग-१ गाथा-अङ्क प्राकृत संस्कृत हिन्दी २५,४६ उज्जयो उद्योत उद्योतनामकर्म पृ. ४१,६३ ४६ उज्जोयए उद्-द्युत् उद्योत करता है उद्योतते ४३ उट्ट उष्ट्र ऊँट ४१ उण्ह उष्ण उष्णस्पर्शनामकर्म पृ. ५८ २ उत्तर-पगइ उत्तर-प्रकृति अवान्तर प्रकृति ३० उत्तर-भेय उत्तर-भेद अवान्तर भेद ४६ उत्तरविक्किय उत्तरवैक्रिय उत्तर वैक्रिय शरीर २२,३२,४३, ४५,४७,५० उदअ उदय विपाक-फलानुभव ४४,४७ उदय उदय विपाक-फलानुभव ११ उपविट्ठ उपविष्ट बैठा हुआ ३९ उभओ उभयत: दोनों तरफ २२ उभय उभय ५६ उम्मग्ग उन्मार्ग शास्त्र-विरुद्ध-स्वच्छन्द ३४ उर उरस् छाती ३५,३६ उरल औदार औदारिक-स्थूल ३९ उरालंग औदाराङ्ग औदारिकशरीर पृ. ५४ २४ उवंग उपाङ्ग अङ्गोपाङ्गनामकर्म पृ. ७६ ३४ उवंग उपाङ्ग अंगुली आदि उपाङ्ग पृ. ३९ २५,४८ उवघाय उपघात उपघातनामकर्म पृ. ४१,६४ उवघाय उपघात घात-नाश ५२ उवभोग उपभोग बारबार भोगना उवमा उपमा समानता ५० उवरि उवरि ऊपर उवहम्मइ उपxहन् उपघात पाता है उपहन्यते २५ उस्सास उच्छ्वास उच्छ्वासनामकर्म ४५ उसिणफास उष्णस्पर्श उष्णस्पर्शनामकर्म पृ. ६२ ५४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001894
Book TitleKarmagrantha Part 1 2 3 Karmavipaka Karmastav Bandhswamitva
Original Sutra AuthorDevendrasuri
AuthorSukhlal Sanghavi
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2008
Total Pages346
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size15 MB
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