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________________ कर्मग्रन्थभाग- १ ५७ ३. सादिसंस्थान नाम - जिस शरीर में नाभि से नीचे के अवयव पूर्ण और नाभि से ऊपर के अवयव हीन होते हैं उसे सादि संस्थान कहते हैं जिस कर्म के उदय से ऐसे संस्थान की प्राप्ति होती है उसे सादिसंस्थान नामकर्म कहते हैं। ४. कुब्जसंस्थान नाम - जिस शरीर के हाथ, पैर, सिर, गर्दन आदि अवयव ठीक हों, किन्तु छाती, पीठ, पेट हीन हों, उसे कुब्जसंस्थान नामकर्म कहते हैं। जिस कर्म के उदय से ऐसे संस्थान की प्राप्ति होती है, उसे कुब्जसंस्थान नाम-कर्म कहते हैं। लोक में कुब्ज को कुबड़ा कहते हैं। ५. वामनसंस्थान नाम -- जिस शरीर में हाथ, पैर आदि अवयव हीनछोटे हों और छाती पेट आदि पूर्ण हों, उसे वामन संस्थान कहते हैं। जिस कर्म के उदय से ऐसे संस्थान की प्राप्ति होती है उसे वामनसंस्थान नामकर्म कहते हैं। लोक में वामन को बौना कहते हैं। ६. हुण्ड संस्थान नाम — जिसके समस्त अवयव बेढब हों - प्रमाण - शून्य हों, उसे हुण्ड संस्थान कहते हैं। जिस कर्म के उदय से ऐसे संस्थान की प्राप्ति होती है उसे हुण्ड संस्थान नाम - कर्म कहते हैं। शरीर के रङ्गको वर्ण कहते हैं। जिस कर्म के उदय से शरीरों में अलगअलग रङ्ग होते हैं उसे 'वर्ण नाम - कर्म' कहते हैं। उसके पाँच भेद हैं। १. कृष्णवर्ण नाम — जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर कोयले जैसा काला हो, वह कृष्णवर्ण नामकर्म है। - २. नीलवर्ण नाम — जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर तोते के पंख जैसा हरा हो, वह नीलवर्ण नामकर्म कहलाता है। ३. लोहितवर्ण नाम — जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर हिंगुल या सिंदुर जैसा लाल हो, वह लोहितवर्ण नामकर्म है। ४. हारिद्रवर्ण नाम - जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर हल्दी जैसा पीला हो, वह हारिद्रवर्ण नामकर्म है। ५. सितवर्ण नाम — जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर शङ्ख जैसा सफेद हो, वह सितवर्ण नामकर्म कहलाता है। 'गन्ध नामकर्म के दो भेद, रस नामकर्म के पाँच भेद और स्पर्श नामकर्म के आठ भेद कहते हैं' Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001894
Book TitleKarmagrantha Part 1 2 3 Karmavipaka Karmastav Bandhswamitva
Original Sutra AuthorDevendrasuri
AuthorSukhlal Sanghavi
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2008
Total Pages346
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size15 MB
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