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________________ आश्वासः] रामसेतुप्रदीप-विमलासमन्वितम् [३८६ वरोधादेव संमुखमगच्छन्ती पार्श्वयोद्विधाभूयोध्वं गच्छतीति पतग्निझं रत्वेन भासत इति भावः ॥१०॥ विमला-इस सुवेल पर्वत के कटक ( उपत्यका भाग से ) अवरुद्ध चन्द्रमा का मध्य भाग श्यामता के प्रकट होने से भली-भाँति दिखायी देता है एवम् उसकी शुभ्र कान्ति ( कटकावरोध से ही ) सम्मुख न आकर दोनों पावों में दो भागों में होकर ऊपर की ओर जाती है, अतएव ऐसा प्रतीत होता है कि मानों चन्द्रमण्डल शिखरनिर्झर से प्रताडित हो रहा है ।।६।। त्रैलोक्याधारतामाह मज्झकरालाइ हि तिणि वि समणिरन्तरपहुत्ताई। थोरुण्णए हरिभुए वलमाइ व भुअणमण्डलाइ ठिपाई ॥१॥ [ मध्यकरालानि यत्र त्रीण्यपि समकं निरन्तरप्रभूतानि । स्थूलोन्नते हरिभुजे वलयानीत भुवनमण्डलानि स्थितानि ॥ ] यत्र त्रीण्यपि भुवनमण्डलानि मण्डलाकाराणि भुवनानि स्थितानि । कीदृ. शानि । मध्ये करालानि सच्छिद्राणि । सुवेलेनैव विद्धत्वात् । एवम्-समकं तुल्यं निरन्तरं निःसंधि प्रभूतानि मिलितानि । कानीव । स्थूले उन्नते हरिभुजे वलयानीव। यथा यथोक्तविशेषण विशिष्टानि वलयानि त्रिविक्रमस्य भुजे स्थितानीति रसातलभूतलनभस्तलानि भित्त्वा निर्गतोऽयमिति भावः । हरिभुजसुवेलयोर्वलयभुवनयोः साम्यम् ॥६॥ विमला-[ हरि ] त्रिविक्रम के स्थूल एवम् उन्नत भुज में बलयों के समान, तीनों भुवन इस सुवेल पर्वत में मण्डलाकार स्थित हैं, जो मध्य में ( सुवेल से ही विद्ध होने से ) छिद्रयुक्त हैं तथा तुल्य एवं निरन्तर मिले हुये हैं ।।१।। नक्षत्राणां गतागतमाह सोसिअदुमा रइवहा णववणराइसुहसीअरा शसिवन्था। जस्थ वणन्तरतणुआ णवर ण णज्जन्ति तारप्रागइमग्गा ॥२॥ [ शोषितद्रुमा रविपथा नववनराजिसुखशीतलाः शशिपथाः । यत्र वनान्तरतनुकाः केवलं न ज्ञायन्ते तारकागतिमार्गाः ॥] यत्र गिरौ शोषिता द्रुमा यत्र तथाभूता रविपथाः, एवं नूतना या वनराजिस्तया तद्वद्वा सुखदाः शीतलाः शशिपथा अपि ज्ञायन्ते । केवलं वनान्तरे वनमध्ये तनुकाः कृशास्तारकाणां गतिमार्गा न ज्ञायन्ते द्रुमशोषणशैत्योरनुमापकत्वाद्रवि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001887
Book TitleSetubandhmahakavyam
Original Sutra AuthorPravarsen
AuthorRamnath Tripathi Shastri
PublisherKrishnadas Academy Varanasi
Publication Year2002
Total Pages738
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Literature
File Size13 MB
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