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श्री धन्यकुमार चरित्र जा सकता। क्योंकि सहस्त्रों वर्ष पर्यन्त उनमें जिन प्रतिमायें पूजी जाया करेंगी। ___जो लोग प्रतिमायें बनवाते हैं उन्हें कितना पुण्य बन्ध होता होगा उसे कौन कह सकता है ? इसलिये धनी लोगोंको जिन प्रतिमायें बनवानी चाहिए । उनके द्वारा वे स्वर्ग तथा शिव-सुखके भोगनेवाले हो सकेंगे। ग्रन्थकार कहते हैं कि जो लोग जिन प्रतिष्ठा करवाते हैं उनको कितना पुण्य कर्मबन्ध होता है उसकी संख्या में नहीं जानता क्योंकि प्रतिष्ठाके द्वारा धर्मको वृद्धि होती है । ___यही हेतु है कि प्रतिमा बनवानेबाले बहुत पुण्य कमाते हैं। कितने मिथ्यादृष्टि तो जिन प्रतिमा तथा प्रतिष्ठा करवाकर ही जैनो होते हैं और तरह नहीं । तात्पर्य यह कि जिनप्रतिमा और जिनप्रतिष्ठा पुण्यकी कारण हैं इसलिए घनिक लोग जिनालय क्यों न बनवावें ।
इसी विचारसे धनपति सेठने बड़ा विशाल सुन्दर जिनालय निर्माण करवाया और सुवर्ण रत्नमयो जिनप्रतिमायें बनवाई । चारों संघको बुलवाकर उन प्रतिमाओंकी प्रतिष्ठा वधिके अनुसार बहुत धन लगाकर प्रतिष्ठा करवाई और जनालयमें देने के लिए सुवर्ण और रत्नमयी शृगार कलश पभृति धर्मोपकरण बनवाये।
उन रत्नमयी प्रतिमाओंकी प्रसिद्धि सब जगह फैल गई। उसे सुनकर किसी दुर्व्यसनी चोरने लोभमें आकर विचारा के उस जिनालयकी रक्षाके लिए बहुत रक्षक नियत हैं सो बना साधू वेष धारण किये किसी तरह उसके भीतर नहीं जा सकूगा ।
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