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द्वितीयः पादः
शब्दका अर्थ पृथ्वी न हो, तो उसमें से क्ष का छ नहीं होता है । उदा० - ) खमा (यानी ) क्षांति ( = क्षमा) ।
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ऋक्षे वा ।। १६ ।।
ऋक्षशब्दे संयुक्तन्य छो वा भवति । रिच्छं रिक्खं । रिच्छो रिक्खा । कथं छूढं क्षिप्तम् । वृक्षक्षिप्तयो रुक्खछूढो ( २.१२७ ) इति भविष्यति ।
ऋक्ष शब्द में संयुक्त व्यंजनका छ विकल्पसे होता | उदा०- - रिच्छं रिक्खो । ( प्रश्न : - ) क्षिप्तम् शब्दसे छूढं वर्गान्तर कैसे हुआ ? ( उत्तरः -- ) 'बुक्षक्षिप्तयोरुक्ख सूत्रानुसार ( आदेश होकर क्षिप्त शब्दसै छूढ वर्णान्तर] होगा ।
क्षण उत्सवे ॥ २० ॥
क्षणशब्दे उत्सवाभिधायिनि संयुक्तस्य छो भवति । छणो । उत्सव इति किम् । खा ।
उत्सव अर्थ कहनेवाले क्षण शब्दमें संयुक्त व्यंजनका छ होता है । उदा--क्षणो । उत्सव (अर्थ कहनेवाले क्षण शब्द में) ऐसा क्यों कहा है ? ( कारण उत्सब अर्थ न होनेपर, छ नहीं होता है । उदा--खणी ( कालमापनमें ) ।
स्वात् व्यवत्सप्साम निश्चले ।। २१ ।।
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ह्रस्वान् परेषां थ्यश्च त्सप्सां छो भवति निश्वले तु न भवति । य । 'पच्छं । पच्छा | मिच्छा । व । पच्छिमं । अच्छे पच्छा । त्स । उच्छा हो । मच्छलो | मच्छरों । संवच्छलो संवच्छरो । चित्सइ । प्स । लिच्छइ । जुगुच्छइ । अच्छरा । ह्रस्वादिति किम् । "ऊसारिओ । अनिश्चल इति किम् । निच्चलो | आर्षे तथ्ये चोपि । तच्चं ।
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ह्रस्व स्वर के आगे होने वाले थ्य, व त्स और प्स इनका छ होता है; परन्तु निश्चल शब्द में मात्र ( श्व का छ ) नहीं होता है । उदा०--थ्य का छ ) :- पच्छं ... मिच्छा । श्व ( का छ ):- पच्छिमं पच्छात्स ( का छ : उच्छाहो चिइच्छइ । स ( का छ ) :- लिच्छइ अच्छरा । ह्रस्व स्वर के आगे होने वाले ऐसा क्यों कहा है ? ( कारण पीछे स्वर ह्रस्क न हो, तो छ नहीं होता है । उदा० -) ऊसारिओ । निश्चल शब्द में श्र्च का छ ) नहीं होता है ऐसा क्यों कहा है ? (कारण निश्चल शब्द में व का च होता है । उदा० - निच्चलो | आर्ष प्राकृत में, तथ्य शब्द में से ( थ्य का ) च भी होता है । उदा० - तच्चं ।
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१. क्रम से:- पथ्य | पथ्या । मिथ्या । २. क्रमसे : पश्चिम | आश्चर्य । पश्चात् । ३. क्रमसेः- उत्साह । मत्सर । संवत्सर । चिकित्सति । ४. कम से: - लिप्सति । जुगुप्सति । अप्सरस् । ५. उत्सारित ।
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