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प्रथमः पादः
.. पक्व, अङ्गार और ललाट शब्दों में आदि अ का इ विकल्प से होता है। उदा.-पिक्कं... .. णडालं ।
____मध्यम-कतमे द्वितीयस्य ॥४८॥ मध्यमशब्दे कतमशब्दे च द्वितीयस्यात इत्वं भवति । मज्झिमो । कइमो।
मध्यम शब्द में तथा कतम शब्द में द्वितीय अ का इ होता है। उदा०मझिमो । कश्मो।
सप्तपणे वा ॥४९॥ सप्तपणे द्वितीयस्यात इत्वं वा भवति । छत्तिवण्णो छत्तवण्णो ।
सप्तपर्ण शब्द में द्वितीय अ का विकल्प से इ होता है। उदा०-छत्तिवणो, छत्तवण्णो।
__ मयट्यइवा ।। ५०॥ भयट्प्रत्यये आदेरतः स्थाने अइ इत्यादेशो भवति वा। विषमयः विसमइओ विसमओ।
मयट प्रत्यय में आदि अ के स्थान पर अइ आदेश विकल्प से होता है। उदा:----- विषमयः... .. विसमओ।
ईहरे वा ॥ ५१॥ हरशब्दे आदेरत ईर्वा भवति । होरो हरो। हर शब्द में आदि अ का विकल्प से ई होता है। उदा०-हीरो, हरो।
ध्वनिविश्वचोरुः ।। ५२॥ अनयोरादेरस्य उत्वं भवति । झुणी। वीसुं। कथं सुणओ। शुनक इति प्रकृत्यन्तरस्य । श्वन्शब्दस्य तु सा साणो इति प्रयोगो भवतः।
ध्वनि और विष्वक् (विष्यच्) शब्दों में आदि अ का उ होता है। उदा०--झणी, पोसं। सुणो रूप कैसे होता है ? ( उत्तर :----सुणी रूप ) शुनक इस दूसरे मूल (संस्कृत) शब्द से होता है। श्वन शब्द के सो सा, साणो ऐसे प्रयोग होते हैं।
वन्द्रख ण्डिते णा वा ॥ ५३ ॥ अनयोरादेरस्य णकारेण सहितस्य उत्वं वा भवति । वुन्द्रं वन्द्रं । खुडिओ खंडिओ।
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