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________________ प्राकृतव्याकरणे २२१ उल्मस् धातु को ( ऊसल, ऊसुम्भ, णिल्लस, पुलआअ, गुञ्जोल्ल, भौर आरोम ऐसे ) ये छः आदेश विकल्प से होते हैं। उदा०-ऊसलइ... .."गुलोल्लइ; ( गुञ्जोल्ल में से जो का ओ) ह्रस्व होने पर, गुज़ुल्लइ = ( ऐसा रूप होगा); आरोअइ। ( विकल्प-पक्ष में ):-उल्लसइ। भासेर्भिसः ॥ २०३ ।। भासेभिस इत्यादेशो वा भवति । भिसइ । भासइ । भास् धातु को भिस् ऐसा आदेश विकल्प से होता है। उदा०-भिसइ । ( विकल्प-पक्ष में ):-भासइ । ग्रसेधिसः ॥ २०४॥ ग्रसेधिस इत्यादेशो वा भवति । घिसइ । गसइ। ग्रस् बातु को घिस ऐसा आदेश विकल्प से होता है। उदा०-धिसइ । ( विकल्प-पक्ष में ) :- गसइ । अवाद् गाहेर्वाहः ।। २०५॥ अवात् परस्य गाहेर्वाह इत्यादेशो वा भवति । ओवाहइ । ओगाहइ । अव ( उपसर्ग ) के आगे होने वाले गाह, धातु को वाह ऐसा आदेश विकल्प से होता है । उदा०--ओवाहइ । ( विकल्प-पक्ष में ) :- ओगाहइ । आरुहेश्चड-बलग्गौ ॥ २०६॥ आरुहेरेतावादेशौ वा भवतः । चडइ । वलग्गइ । आरुहइ । आरुह, धातु को घड और बलग्ग ये आदेश विकल्प से होते हैं। उदा०-चडइ, वलग्गइ । ( विकल्प-पक्ष में ):-आरुहइ । मुहेगु म्म-गुम्मडौ । २०७॥ मुहेरेतावादेशौ वा भवतः । गुम्मइ ! गुम्मडइ । मुज्झइ । मुह, धातु को गुम्म और गुम्मड ऐसे ये आदेश विकल्प से होते हैं। उदा. - गुम्भइ, गुम्मडइ । ( विकल्प-पक्ष में ) : मुज्झइ । दहेरहिऊलालुवौ ॥ २०८ ॥ दहेरे तावादेशौ वा भवतः । अहिऊलइ । आलुङ्खइ । डहइ। दह, धातु को ( अ.ि ऊल और आलुल ऐसे ये आदेश विकल्प से होते हैं । उदा०-अहि ऊलइ, आलुखइ । ( विकल्प-पक्ष में ):--डहइ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001871
Book TitlePrakrit Vyakarana
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorK V Apte
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1996
Total Pages462
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, P000, & P050
File Size22 MB
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