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तृतीयः पादः
इस स्थल पर व्यवहित होनेवाले ( अकार ) का ( आकार ) न हो ( इसलिए ); और 'कारिमं' में अन्त्य (अकार) का (आकार) न हो ( इसलिए )। अकार का (माकार होता है) ऐसा क्यों कहा है ? ( कारण अन्य स्वर आदि होने पर, ऐसा आकार नहीं होता है । उदा०-) दूसेइ । तथापि (णि प्रत्यय के) आवे और भावि ये आदेश होने पर भी, (धातु में से आदि अकार का आकार होता है, ऐसा कुछ (वैयाकरण) मामते हैं । (उनके मतानुसार) कारावेइ, हासाविभो जणो सामलीए, (ऐसा होगा)।
मो वा ॥१५४ ॥ ____अत आ इति वर्तते। भदन्ताद् धातोमौं परे मत आस्वं वा भवति । हसामि हसमि। जाणामि जाणमि लिहामि लिहमि । अत इत्येव । होमि ।
अत मा ( = अ का आ होता है ) ये शब्द ( सूत्र ३.१५३ में से ) प्रस्तुत सूत्र में ) अनुवृत्ति से होते ही हैं। अकारान्त धातु के आगे मि प्रत्यय होने पर, (धातु के अन्त्य ) अ का आ विकल्प से होता है। उदा.-हसामि... ... 'लिहमि । अकाही ( आकार होता है; अन्य भन्स्य स्वरों का आकार नहीं होता है। उदा.-) होमि।
इच्च मोममे वा ॥ १५५॥ अकारान्ताद् धातोः परेषु मोमुमेषु अत इत्त्वं चकाराद् आत्त्वं च वा भवतः । भणिमो भणामो। भणिमु भणामु। भणिम भणाम । पक्षे । भणमो। भणमु । भणम । वर्तमानापञ्चमीशतृषु वा ( ३.१५८ ) इत्येत्वे तु भणेमो भणेमु भणेम । अत इत्येव । ठामो । होमो।
अकारान्त धातु के आगे मो, मु, और म ( ये प्रत्यय ) होने पर, (धात में से अन्त्य । अ का इ, और ( सूत्र में से ) चकार के कारण आ, ऐसे (विकार । आदेश ) विकल्प से होते हैं। उदा-भणिको... ..."भणाम । ( विकल्प-) पक्ष में :-भणमो... ... ... .."भणम । 'वर्तमाना... ..'वा' इस सूत्र के अनुसार, ( भकारान्त धातु के अन्त्य अ का ) ए होने पर, भणेमो... .. भणेम ( ऐसे रूप होते हैं )। ( अन्त्य ) अ का हो ( आ होता है; अन्य अन्त्य स्वरों का आ नहीं होता है । उदा०--- ) ठामो, होमो।
क्ते ॥ १५६ ॥ क्ते परतोत इत्त्वं भवति। हसिअं । पढिअं३ । नविअं । हासिकं । पाढिअं। गयं नयं इत्यादि तु सिद्धावस्थापेक्षणात् । अत इत्येव । "झायं । 'लुअं । "हूअं। १. /लिख । ३. पठित।
४. नत I/नम् । ५. ध्यात ।
*. भूत । हूत।
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