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द्वितीयः पादः
वोवें ॥ ५ ॥ ऊर्ध्वशब्दे संयुक्तस्य भो वा भवति । उभं उद्धं । ऊर्ध्व शब्द में संयुक्त व्यञ्जन का म विकल्प से होता है । उदा.-उन्भ,उद्धं ।
कश्मीरे म्भो वा ॥ ६०॥ कश्मीरशब्दे संयुक्तस्य म्भो वा भवति । कम्भारा कम्हारा।
कश्मीर शब्द में संयुक्त व्यञ्जन का म्भ निकल्प से होता है । उदा--कम्भारा; कम्हारा।
न्मो मः ।। ६१ ॥ न्मस्य मो भवति । अधोलोपापवादः। जम्मो । वम्महो। मम्मणं ।
न्म का म होता है । (संयुक्त व्यञ्जन में) अनंतर ( यानी द्वितीय अवयव होनेवाले म का ) लोप होता है ( सूत्र २.०८ ) नियम का अपवाद प्रस्तुत नियम है। उदा०जम्भो' 'मम्मणं ।
ग्मो वा ।। ६२ ॥ ग्मस्य मो वा भवति । युग्मम् । जुम्भ जुग्गं । तिग्मम् । तिम्मं तिग्गं । ग्म का म विकल्प से होता है । उद! o -...युग्मम् - निगं ।
ब्रह्मचर्यतूयसौन्दर्यशौण्डीये यो रः ।। ६३॥ . एषु यस्य रो भवति । जापवादः । बम्हचेरं । चौर्यसमत्वात् बम्हचरिअं । तूरं । सुंदेरं । सोण्डीरं। ___ ब्रह्मचर्य, तूयं, सौन्दर्य और शौण्डीर्य शब्दों में यं का र होता है । (यं का) ज होता है ( सूत्र २.४ ) नियम का अपवाद प्रस्तुत नियम है । उदार-बम्हचेरं; ( ब्रह्मचर्य शब्द ) चौर्य शब्द के समान होने से ( उसमें स्वरभक्ति होकर ) बम्हचरिमं ( ऐसा भी वर्णान्तर होता है; तूरं "सोंडीरं ।
धैर्ये वा ।। ६४॥ धैर्ये र्यस्य रो वा भवति । धीरं धिज्जं। सूरो सुज्जो इति तु सूर-सूर्यप्रकृतिभेदात् ।
धर्य शब्द में यं का र विकल्प से होता है । उदा०-धीर, धिज्जं । सूरो और सुज्जो शब्द मात्र सूर और सूर्य इन दो मूल भिन्न ( संस्कृत ) शब्द से सिद्ध हुए हैं। १. क्रमसे:-जन्मन् । मन्मथ । मन्मनस् ।
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