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________________ स्वामीजी की स्मृति में प्रस्तुत ग्रन्थ के प्रकाशन में हमें पूर्ण आर्थिक सहायता श्रीयुक्त नागोसा रतनसा रायबागकर, द्वारा प्राप्त हुई है। इसके लिये हम व हमारा मण्डल उनके कृतज्ञ हैं। दाता ने अपनी धार्मिक बुद्धि और स्वामीजी में भक्ति का प्रत्यक्ष प्रमाण उपस्थित किया है । आशा है अन्य बन्धु इस आदर्श का अनुकरण करेंगे। ___हमारे धर्मबन्धु श्रीयुक्त प्रोफेसर हीरालालजी ने इस ग्रन्थमाला को जन्म देने तथा प्रस्तुत ग्रंथ के सम्पादन में जो निस्स्वार्थ और अटूट परिश्रम किया है उसके लिये यह मण्डल आपका चिरकृतज्ञ रहेगा। उन्होंने ग्रंथमाला का सम्पादकत्व स्वीकार करके हमारी अनेक वर्षों की अभिलाषा को सफल किया है। हमें विश्वास है कि धर्मप्रेमी और साहित्यप्रेमी भाई हमारी त्रुटियों को क्षमा कर ग्रन्थमाला की उन्नतिमें सहयोग प्रदान करेंगे। निवेदक रतनलाल नरसिंगसा राउळ, मंत्री, बलात्कारगण ग्रंथप्रकाशक मण्डल, कारंजा. देवेन्द्रकीर्ति ग्रन्थमाला का कार्यकारी मण्डल१. श्रीमान् नत्थूसा पासूसा, एलिचपूर, सभापति व खजांची. २. ,, रायसाहब मोती संघई, रुखब संघई, अंजनगांव, ३. ,, रतनलाल नरसिंगसा राउळ, कारंजा, मंत्री. प्रो. हीरालालजी, किंग एडवर्ड कॉलेज, अमरावती, सम्पादक. खुशालसा देवमणसा जिंतूरकर, कारंजा. ,, माणिकसा बाबूमा खंडारे, कारंजा. - VI Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001870
Book TitleNayakumarchariu
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorHiralal Jain
PublisherBalatkaragana Jain Publication Society
Publication Year1989
Total Pages280
LanguagePrakrit, Hindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Grammar
File Size18 MB
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