________________
पुप्फयंतविरइयउ
[8. 10. 4मुद्धउ पियदसणे हरिसियाउ णं मलयमहासुसिहरि सियाउ। वरतिलयेउ चंदणसुरहियाउ
पवरच्छराउ णं सुरहियाउ। णयणेहिं पजियहरिणियाउ
णं गोउलगोविउ हरिणियाउ। कलमंगलपुण्णमणोहराउ
वड्डारियसयणमणोहराउ। णं हंसिणीउ सुरतरुणियाउ
परिणिवि णीसेसउ तरुणियाउ । करपल्लव उववणतरु णियाउ
पुरवरे गुणपसरियवयणराउ । हयपवणवेयरक्खंकराय
कय रक्खमहारक्खंक राय । थवियाउ ताउ तित्थु जि सईउ लीलालोइयणियपुरिसईउ । ते णवसेवय विणिहिय सुधीर तहिं रक्खणु मंतीस वि सुधीर । आरुहिवि मणोहरु सुरविमाणु
तेएणोहामियसुरविमाणु । पंच वि जण मॅणिभूसियसवासे
आवेप्पिणु थिय पंडीसवासे । घत्ता-हरहारहिमुज्जलु वियलियकलिमलु अणिवारिउ परिभमइ तहिं । 15
जसु णरवरसारहो णायकुमारहो पुष्फयंतकिरणाई जहिं ॥ १६॥
__10
इय णायकुमारचारुचरिए णण्णणामंकिए महाकइपुप्फयंतविरइए महाकग्वे बहुकपणाकल्लाणवीरकिंकरलंभो णाम अट्ठमो परिच्छेउ समत्तो ॥
संधि ॥ ८॥
४ D तिलउ. ५ D परिजिय. ६ E reads before this करपल्लवउववणतसणियाउ णं हंसणीउ सुरतरुणियाउ. ७ ABCE मणोरहाउ. ८ E omits this foot, ९ ABC मुणिदूसिय; E मुणिभूसिय.
- ९२
-
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org