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________________ 3. 14. 12.] महि भुंजतो अरीसेण घुटुं अणेयं चवंतो संमुजाहाणा मँहग्गे सुदीणो तुमं तुझ राउ धत्ता — कुद्धु अबद्धपयंपिरु दूर्वउ माणु विहंडिवि णायकुमारचरि तं सुणिवि उट्टिय आणंयर घइरिहिं वेढि चउदिसिहिं सूरु असहियकक्कसकरटक्करहो रंगइ णिग्गइ वंचइ वलइ सुंभइ भइ चपिवि धरह संचूरइ जूंरइ वाहरइ विणिवारइ दारइ पइसरइ दीहरभासुरकरवालकरु आवंतु राउ रोसें फुरिउ मुसलेण किं ण सो ताडियउ धत्ता-ससि व विडप्पें गिरपहु तेण वि पासि तिगुत्तहो Jain Education International Vyala vanquishes the forces of Somaprabha who then renounces the throne and becomes an ascetic. 14 अहं ते कयंतो । असचं सॅझुटुं । मयं णिव्वहंतो । णवीलाविलीणो दुद्धरमच्छरकंपिरु । लहु दंडिवि मुंडिवि ॥ १३ ॥ G वराओ णिहीणो । मयं पायराउ | करवालसूलझसमुसलकर । णं ढंकिउ णहे जलहरेहिं सूरु । असे कासु विहित्तउ किंकरहो । उल्ललइ भिडइ भड पडिखला । पच्चारइ मारइ हुंकरइ । दलवट्टर लोट्टर णीसरह । छिंदइ भिंदइ रुहिरेंडं तरइ । णं विज्जुंविसिउ अंबुहरु । सहसा वाले बंधिवि धरिउ । महि हित्ती खणे विब्भाडियउ । करिवि मुक्कु सोमप्पहु | वउ लइयउ भयवंतहो ॥ १४ ॥ ६७ ५ CE सघुटं. ६ ABC omit समुज्जोयद्दीणो; D समुज्जाय.. • ABC omit महग्गे सुदीणो. ८ C दूअउ; E दूबहो. 15 14. DE आणायर. २ E वीरु. ३D जलहरेहिं. ४ C भूरइ; ACD also झूडइ. ५ D रुहिरं. ६ ABE विज्ज. - 20 For Private & Personal Use Only 5 10 www.jainelibrary.org
SR No.001870
Book TitleNayakumarchariu
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorHiralal Jain
PublisherBalatkaragana Jain Publication Society
Publication Year1989
Total Pages280
LanguagePrakrit, Hindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Grammar
File Size18 MB
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