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________________ 6. 8. 16.] णायकुमारचरिउ किं फलु दिट्टउ वीणाभासे भासिउ जालंधरराएसें। कित्तिधवलु णामें कस्सीरएं देसे पसिद्धणयरे कस्सीरएँ। राउ णंदि णंदवइ किसोयरि नासु देवि णावइ मंदोयरि। सुय तिहुयणरइ किं वणिजइ तं वण्णंतु विरंचि वि झिजइ । सा वीणापवीण सुहयारी णं वाईसरि परमभडारी। पत्ता-जो णिवसुयहि वि दिहि जणइ आलावणियहं सुंदरि जिणंई। णियणयणोहामियसिसुहरिण सा पिययम होसइ तहो घरिणि ॥७॥ 10 5 Nagakumara visits Kashmir and becomes the guest of king Nanda. उजलछणतारावइमुहियएं णयणाणंदए गंदहो दुहियएं। हउं वीणाए जिणेप्पिणु घल्लिउ एवहि पुणु सिक्खडे संचल्लिउ। पिय परिणेसमि काले जंतें ना सम्माणिउ किण्णरिकतें। गउ वीणागुरु कहिं वि सइच्छए वालु पबोल्लिउ पहुणा पच्छए । दिण्णु रज पुणरवि दुब्वयणहो नोसियपोसियपरियणसयणहो। सहुं दोहिं मि गेहिणिहिं तुरंगें सहुं वीरेण तेण मायंगें। गउ झसचिंधु णवर कस्सीरहो कस्सीरयपरिमिलियसमीरहो। कस्सीरउ पट्टणु संपाइ त्रामरछत्तभिच्चरहराइ। णंदु राउ सवडंमुहं आइउँ णारिहे पेम्मजरुल्लउ लाइ। का वि कंत झूरवइ दुचित्ती का वि अणंगपलोयणे रत्ती। पाएं पडइ मूढ जामायहो धोयह पाय घएं घरु आयहो। घिवइ तेल्लु पाणिउ मण्णेप्पिणु कुटुं देइ छुडु दारु भणेप्पिणु। अइअण्णमण डिंभु चिंतेप्पिणु गय मज्जारयपिल्लउ लेप्पिणुं। धूवई खीरु का वि जलुं मंथइ का वि असुत्तउ मालउ गुंथइ । ढोयइ सुहयहो सुहई जणेरी भासइ हउंपिय दासि तुहारी। __10 15 ६ E 'रइं. ७ E देसि पसिद्धि णयरि; C पसिद्धे. ८ C मंदोवरि. ९ । सुहियारी. १० E सुयहे. ११ Cआलावणियए; D °णिया १२ E जिणियइ. १३ C पियतम. -- 8. १E °यइं. २ A किण्णर'. ३ 5 °यउ, ४ । णारिहि पोम्मजलुल्लउ. ५ ) धोइय; - धोएइ, ६ D कट्ठ. ७ A B लिप्पिणु. ८E धोवइ. ९ C जल. १०E मालइ. . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org |
SR No.001870
Book TitleNayakumarchariu
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorHiralal Jain
PublisherBalatkaragana Jain Publication Society
Publication Year1989
Total Pages280
LanguagePrakrit, Hindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Grammar
File Size18 MB
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