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________________ 4. 15. 15.] णायकुमारचरित घत्ता-आलग्गइ वग्गइ रंगइ णिग्गइ पहरइ वारइ थंभइ । वेढिउ चउपासहिं भडहिं सरोसहिं जयवइपुत्तु वियंभइ ॥१४॥ 15 Vyala kills all the warriors. Nagakumara is advised by his father to leave the country in order to avoid a fratricidal war. He obeys and goes to Mathura with his retinue. दुवई-पेल्लइ दलई मैलइ उल्ललइ महाणरु घायवेवियं । कड्डइ धरइ सरइ पच्चारइ चूरिवि हरइ जीवियं ॥ रिउकिंकराई खंभे हयाई अंगाई दिसावलि णं कयाई । खग्गइं पडिखडियई खणखणंति कुंतई भजंतई कसमसंति । अंतई णिग्गंतई चलचलंति लोहियई झरंतई सलसलंति । चम्मइं लंबंतई ललललंति हड्डई मोडतई कडयांति। रुंडई धावंतई दडयडंति मुंडई णिवडंतई हुंकरंति। डाइणिवेलिई किलकिलंति इय रिउकिंकर हय सयल जाम णीसरियउ णायकुमार ताम । संजायउ कोलाहलु गहीरु रणु जित्तउ पणविउ पहुहे वीरु । 10 जा रूसिवि वइरिहे उवरि चलिउँ ता मंति णयंधरु तहिं जि मिलिउ। ते भणिउ कामु तुह कहहि ताउ माहिमंडलि होसहि तुहुँ जि राउ। कुलकलहें कहिं णीसरिवि जाहि हक्कारिउ पुर्णरवि कहिमि एहि । ता कुमरे रक्खिय गुरुहुँ छाय आवंति णिवारिय णिययमाय । घत्ता-सहुँ तेण सवाले भिच्चे वाले सहुँ सेण्णे रंजियसुरे। जाइवि थिउ वम्महु परणरदुम्महु पुष्फयंतु महुराउरे ॥ १५ ॥ 15 इय णायकुमारचारुचरिए णण्णणामंकिए महाकपुष्फर्यतविरहए महाकग्वे वालवीरलंभो णाम चउत्थो परिच्छेउ समत्तो। ॥ संधि ॥४॥ ८CE रुंभइ. 15. १E दलमलइ. २ B मिलइ. ३ CE पडिखलियइं. ४C चलवलंति. ५ E कंडई. ६ ABE वेतालई. ७ E चडिउ, ८ E भणिउ. ९C पुण. For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.001870
Book TitleNayakumarchariu
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorHiralal Jain
PublisherBalatkaragana Jain Publication Society
Publication Year1989
Total Pages280
LanguagePrakrit, Hindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Grammar
File Size18 MB
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