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________________ णायकुमारचरिउ धत्ता - अण्णाहं दिणि जिट्टे दिसइहें पुच्छिउ भाउ कणिट्ठर । तुहुं 4. 13. 2.] हुं घिरिणिए णं कैरि करिणिए इह णिवसहि संतुट्टउ ॥ ११ ॥ 12 Vyala goes to Kanakapura and loses his third eye at the sight of Nagakumara. दुवई - हउं जाहीमि णवर णरसुंदर कैणयउरं घरुजलं । णायकुमार वीरगुणगायणंगण संगीय मंगलं ॥ चाएण जेण दणंतु विहिउ वरंतु खग्गु भुअतु णाणु सोहग्गु वि वणिजइ गुणीहिं जोरू अण्णु जि विहिविवेउ सो गंपि णिहालमि रायउत्तु महि विहरमाणु कणयउरु पत्तु जणु जोयइ जंपर चोज्जु करइ उ विसहरु कंकणु णउ बलहु करि चरणगुट्टे चोयमाणु दिउ विसमच्छे पंचवाणु ओसारिवि मयमत्तउ मयंगु अवलोयणेण संजणिय तुट्ठि धत्ता - तइयच्छि पणट्टउ लोयहिं दिट्टउ भणिउ मयणु जोयंतहो । हुँ तिज लोयणु चोज्जुक्कोयणु पत्तउ पासि कयंतही ॥ १२ ॥ जसु जेण दिसाकरिकुंभि णिहिउ । जसु र सुम्मई जगि पहाणु । कामिणियाणंतु सुकामिणीहिं । जो संपइ भण्णइ कामएउ । इय पुच्छिवि गउ सहसा तिणेत्तु । जोयउ जगेण सयवत्त्वन्तु । ण कवालु धरइ ण तिसूलु धरइ । अवईण्ड तिणयणु णयरि रुद्दु 1 तहिं अवसरे पिउपुरे पइसमाणु । जणु उ पहिउ ण मुयइ ठाणु । रु पण चल्लिउ अणंगु । तहिं दोहिमि हूई इक दिट्टि । 13 Recollecting the prophesy of the sage he took up service with Nagakumara. दुवई- ई-ता णियणयणजुयलु करजुयलें ढंकिवि तेण जोईयं । पुरवरु सुरहरेहिं सोहंतु महंतु वि णावलाईयं ॥ Jain Education International १३ ABCD भाइ १४ ABD वणकरिणए. 12. १ रयणउरं. २ E कुमारुवीरु. ३D गायणु. ४ ]] वइरतु. ५ E ७ D कंठि. ८ E अत्रयण्णउ ९ AB चरणंगुट्टहें, E चरणंगुट्ठहिं. १० CE तुह. 13 १ ABCD जोइउ or जोइओ. २ E सुहहरोह. ३ ABCD लोइउ or लोइओ. ४५ ---- For Private & Personal Use Only भुवणत्त. ६ 5 IO 15 E सयवत्तु. www.jainelibrary.org
SR No.001870
Book TitleNayakumarchariu
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorHiralal Jain
PublisherBalatkaragana Jain Publication Society
Publication Year1989
Total Pages280
LanguagePrakrit, Hindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Grammar
File Size18 MB
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