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________________ पुप्फयंतविरइयउ 14. 2. 3सो मुणिवरिंदु परमत्थभासि घरधम्मु कहइ गुणरयणरासि । घरधम्मु धरिजइ णरवरेण णिचं तसजीवदयावरण। घरधम्मु धरिजइ णयसिरेण अणलियमहुरक्खरभासिरेण । घरधम्मु धरिजइ मलहरेण परदेविणहरणकुंचियकरेण । घरधम्मु धरिजाइ णिरु बुहेण वीरें परघरिणिपरंमुहेण । घरधम्मु धरिजइ णिग्गहेण लोहेस्य पमाणपरिग्गहेण । घरधम्मु धरिजइ दढवएण भोजेणाणत्थमिएं करण । घरधम्मु धरिजइ सजणेण महुमासमजपरिवजणेण। 10 घरधम्मु धरिजइ णायएण उज्झियपंचुंबरसायएण। घरधम्मु धरिजइ गुरुकमेण कयमेरे दिसविदिसागमेण । घरधम्मु धरिजइ सिक्खएण पाविट्ठजीव उप्पेक्खएण। घरधम्मु धरिजइ बुज्झिरेण घणयालि किं पि गमणुज्झिरेण। 15 घरधम्मु धरिजइ झाइएण जिणपडिबिंबे सामाइएण। घरधम्मु धरिजइ तवसहेण पव्वेसु वि विरइयपोसहेण । घरधम्मु धरिजइ सारएण विहिढोइयपत्ताहारएण। घरधम्मु धरिजइ दंसणेण सुद्धे सुविहियसण्णासणेण । घत्ता-जो मइरा चक्खइ आमिसु भक्खइ कुगुरुकुदेवहं लग्गइ । सो माणउ णट्ठउ पहपब्भट्ठउ पावइ भासणदुग्गइ ॥२॥ ____20 Religious discourse ( continues ). दुवई-कुसुइ कुसीलु कुतवसिहिं रत्तउ तं जाणसु कुवत्तयं । होइ अवत्तयं पि सम्मत्तपवित्तवरहिं चत्तयं ॥ वजइ कुदिद्विगुणकित्तणाई लोइयवेइयमूढत्तणाई। णउ संककंखविदिगिंछ करई सम्माइटिउ समत्तु धरइ। मुक्कर दुविहेण वि संजमेण तं अहमु पत्तु जाणहि कमेण ।। 2. १ RDE रइजइ. २ E दव्व. ३ E धीरें. ४ C लेहरस. ५ ABD दस. ६ E माणुसु. 3. १E कुणइ. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001870
Book TitleNayakumarchariu
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorHiralal Jain
PublisherBalatkaragana Jain Publication Society
Publication Year1989
Total Pages280
LanguagePrakrit, Hindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Grammar
File Size18 MB
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