________________ 538 STUDIES IN JAIN LITERATURE Notes and References : 1. तिविहा कहा पन्नत्ता, तं जहा - अत्थकहा, धम्मकहा, कामकहा / -स्थानाङ्गसूत्र, अध्ययन 3, उद्देशक- 3, सूत्र 194, पृ० 77 2. चत्तारि विकहाओ पन्नत्ताओ, तं जहा-इत्थिकहा, भत्तकहा, देसकहा, रायकहा / इत्थिकहा चउव्विहा पन्नत्ता, तं जहा इत्थीणं जाइकहा, इत्थीणं कुलकहा, इत्थीणं रूवकहा, इत्थीणं णेवत्थकहा / भत्तकहा चउव्विहा पन्नत्ता, तंजहाभत्तस्स आवावकहा, भत्तस्स णिव्वावकहा, भत्तस्स आरंभकहा, भत्तस्स निट्ठाणकहा / देसकहा चउव्विहा पन्नत्ता, तं जहा- देसविहिकहा, देसविकप्पकहा, देसच्छंदकहा, देसनेवत्थकहा / रायकहा चउव्विहा पन्नत्ता, तं जहा.... स्नो अतिताणकहा रन्नो निज्जाणकहा, स्नो बलवाहणकहा, रन्नो कोसकोट्ठागारकहा / -स्थानाङ्गसूत्र, अध्ययन 4, उद्देशक 2, सूत्र 282 पृ, 111-112 3. सत्त विकहाओ पन्नत्ताओ, तंजहा- इत्थिकहा, भत्तकहा, देसकहा, रायकहा, मिठकालुणिता, दंसणभेयणी चरित्तभेद (?य)णी / 4. These varieties and sub-varieties are duly explained in the discussion that follows. 5. दुविहा कहा- चरिया य कप्पिया य / तत्थ चरिया दुविहा- इत्थीए पुरिसस्स वा / धम्मत्थकामकज्जेसु दिटुं सुयमणुभूयं चरियं ति वुच्चति / जं पुण विवज्जासियं कुसलेहिं उवदेसियपुव्वं समतीए जुज्जमाणं कहिज्जइ तं कप्पिया पुरिसा इत्थीओ य तिविहावबुद्धसु-उत्तिमा मज्झिमा णिकिट्ठा य, तेसिं चरियाणि वि तव्विहाणि / ततो सो एवं वोत्तूण चरियकप्पियाणि अक्खाणयाणि... वण्णेति / -Vasudevahindi, Lambha X, Bhavnagar, 1931, pp. 208-209. 6. तत्थ य 'तिविहं कहावत्थु' ति पुव्वायरियपवाओ / तं जहा-दिव्वं दिव्वमाणुसं माणुसं च / तत्थ दिव्वं नाम जत्थ केवलमेव दिव्वचरियं वणिज्जइ, दिव्वमाणुसं पुण जत्थ दोण्हं पि दिव्वमाणुसाणं, माणुसं तु जत्थ केवलं माणुसचरियं ति। -Samaradityakatha, Bhumika. 7. एत्थ सामन्नओ चत्तारि कहाओ हवंति / तं जहा-अत्थकहा, कामकहा, धम्मकहा, संकिण्णकहा य / -ibid. 8. जा अत्थोवायाणपडिबद्धा असि-मसि-कसि-वाणिज्ज-सिप्प-संगया विचित्तधाऊवायाइपमुहमहोवायसंपउत्ता सामभेय-उवप्पयाण-दंडाइ-पयत्थ-विरइया सा अत्थकह त्ति भण्णइ / --ibid 9. जा उण कामोवायाणविसया चित्त-वपुव्वय-कला-दक्खिण्ण-परिगया अणुराय-पुलइय-पडिवत्ति-जोयसारा दूईवावार-रमियभावाणुवत्तणाइ-पयत्थ-संगया सा कामकह त्ति भण्णइ / --ibid 10. जा उण धम्मोवायाणगोयरा खमा-मद्दवज्जव-मुत्ति-तव-संजम-सच्च-सोयाकिंचण्ण-बंभचेर-पहाणा अणुव्वय दिसिदेसाणत्थदंड-विरई-सामाइय-पोसहोववासोवभोग-परिभोगातिहि-संविभाग-कलिया-अणुकंपाकामनिज्जराइपयत्थ- संपउत्ता सा धम्मकह त्ति / ibid 11. जा उण तिवग्गोवायाणसंबद्धा कव्वकहागंथत्थवित्थर-विरइया लोइयवेयसमयपसिद्धा उयाहरण-हेउ-कारणोववेया सा संकिण्णकह त्ति वुच्चइ / Incidentally it may be noted that in the Dasaveyaliyanijjutti we find that the samkirnakatha is named there as misra. The following gathas may be read by way of comparison : अत्थकहा कामकहा धम्मकहा चेव मीसिया य कहा / एत्तो एक्केक्का वि य णेगविहा होइ णायव्वा // विज्जासिप्पमुवाओ अणिवेओ संचओ य दक्खत्तं / सामं दंडो भेओ उवप्पयाणं च अत्थकहा // रूवं वओ य वेसो दक्खत्तं सिक्खियं च विसएसुं / दिटुं सुयमणुभूयं च संथवो चेव कामकहा // Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org